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ग्राम प्रधानों का वित्तीय अधिकार बढ़ाने की तैयारी

 ग्राम प्रधानों का वित्तीय अधिकार बढ़ाने की तैयारी

लखनऊ : ग्राम रोजगार सेवकों के बाद अब 58 हजार से अधिक ग्राम प्रधानों को उपहार देने की तैयारी है। गांव के मुखिया का मानदेय व वित्तीय अधिकार बढ़ाने के साथ ही पंचायत प्रतिनिधि कल्याण कोष बनाने सहित छह मुद्दों पर अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास व ग्राम प्रधानों के बीच सहमति बन गई है। राज्य स्तरीय अधिवेशन में प्रदेश सरकार अगले माह इस संबंध में एलान कर सकती है।


ग्राम पंचायतों में ‘स्थानीय सरकार’ का कामकाज शुरू हो रहा है। प्रधानों को दो चरणों में प्रशिक्षण दिया जा चुका है। राष्ट्रीय पंचायतीराज ग्राम प्रधान संगठन व अपर मुख्य सचिव ग्राम्य विकास मनोज कुमार सिंह के बीच 28 अगस्त व सितंबर माह में दो बार बैठक हो चुकी है। सोमवार को तीसरे चरण की अहम बैठक हुई इसमें आठ ¨बदुओं पर चर्चा हुई। संगठन का दावा है कि छह ¨बदुओं पर सहमति बन गई है। संगठन के राष्ट्रीय प्रवक्ता ललित शर्मा ने बताया कि गांवों में पंचायत प्रतिनिधि कल्याण कोष का गठन करने पर सहमति बनी है। इसमें ग्राम प्रधान या सदस्य आदि की किसी हादसे में मृत्यु होती है तो कोष से उनके आश्रितों की मदद की जाएगी। वहीं, अपर मुख्य सचिव ने कहा कि सरकार इसके लिए अलग से बजट का प्रविधान करेगी।

पंचायतों में ग्राम प्रधान को अभी तक दो लाख रुपये की स्वीकृति देने का अधिकार है इसे दो लाख रुपये और बढ़ाने की तैयारी है। इसी तरह से प्रधानों के प्रशासनिक अधिकार भी बढ़ेंगे। उन्होंने बताया कि जिला योजना में प्रधानों को सदस्य के रूप में प्रतिनिधित्व मिल सकता है। ग्राम प्रधानों को अब तक 3500 रुपये प्रतिमाह मानदेय मिल रहा है इसे बढ़ाने की तैयारी है, प्रधानों का कहना है कि रोजगार सेवक को 10 हजार रुपये प्रतिमाह मिलते हैं उसे देखते हुए बढ़ोतरी की जाए। गांवों में विकास कार्य कराने के लिए स्वतंत्र तकनीकी विशेषज्ञ की सेवा लेने की छूट मिल सकती है। मनरेगा के तहत मैटेरियल आपूर्ति ग्राम पंचायत को देने व प्रधानों को मनरेगा के भुगतान का अधिकार देने पर भी सहमति बनी है। बैठक में प्रदेश उपाध्यक्ष डा. अखिलेश सिंह के नेतृत्व वाले प्रतिनिधिमंडल में लखनऊ के जिलाध्यक्ष शैलेंद्र सिंह, हरदोई के अतुल चौहान, बाराबंकी के बलराज यादव, सिद्धार्थ नगर के दिलीप त्रिपाठी व मंडल उपाध्यक्ष लखनऊ सूर्या सिंह आदि शामिल रहे।

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