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अध्यापकों ने मांगों की बाबत की चर्चा

 अध्यापकों ने मांगों की बाबत की चर्चा


चन्दौली (जनवार्ता ) । उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ सदर चंदौली की एक आवश्यक बैठक सदर विकासखंड के कन्या कांटा पर आहूत की गई। बैठक में आगामी 30 नवंबर इको गार्डन लखनऊ में पुरानी पेंशन सहित कई सूत्री मांगों के संदर्भ में चर्चा की गई इस दौरान बैठक में मुख्य रूप से संगठन की इतिहास को याद किया गया ।

1921 में अध्यापक मंडल की स्थापना की गई थी। अध्यापक मंडल जब तक था तब तक अध्यापकों की नियुक्ति ब्लाक प्रमुख एवं जिला पंचायत सदस्य किया करते थे। जो घरेलू नौकर बनाकर अध्यापकों का शोषण किया करते थे 1951 में जिला पंचायत एवं ब्लाक प्रमुख का तानाशाही समाप्त करने के लिए अध्यापक मंडल ने आंदोलन किया तो तत्कालिक सरकार ने 1951 में अध्यापक मंडल की मान्यता समाप्त कर दी 1967 में तमाम पदाधिकारियों और बड़े-बड़े वकीलों से समझकर उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के नाम से चिट फंड ऑफिस होते हुए मुख्यमंत्री एवं राज्यपाल के द्वारा 1970 प्राथमिक शिक्षक संघ की मान्यता प्राप्त हुई। इसके बावजूद अध्यापकों का शोषण बंद नहीं हुआ इसके लिए 1968 में 96 दिनों के आंदोलन के बाद 1970 में बेसिक शिक्षा परिषद का गठन हुआ 1972 में बेसिक शिक्षा परिषद अपने मूल रूप में आया उसके बाद अध्यापकों का शोषण बंद हुआ है 1981 में कर्मचारी शिक्षक समन्वय समिति का गठन हुआ एवं तृतीय वेतनमान की मांग की गई 7 जनवरी 1986 को आयोग का गठन हुआ 14 नवंबर 1986 को तृतीय वेतनमान की संस्तुति प्राप्त शिक्षकों के जीवन में 13 नवंबर 1987 चौथे वेतनमान आयोग की रिपोर्ट लेकर सामने प्रस्तुत हुआ एवं 1989 में जेल भरो आंदोलन के पश्चात चौथा वेतनमान स्वीकृत हुआ शिक्षकों के जीवन का स्वर्णिम युग 1998 का पांचवा वेतनमान की मांग रही तत्कालिक भाजपा सरकार के मुख्यमंत्री स्वर्गीय कल्याण सिंह द्वारा आंदोलन को कुचलने का प्रयास किया गया किंतु 36 दिनों की हड़ताल के बाद 167 अध्यापक बर्खास्त किए गए और हजारों शिक्षक निलंबित किए गए जिसमें उत्तर प्रदेश के लगभग ढाई लाख शिक्षकों का वेतन भी काटा गया । बैठक में मुख्य रुप से जय बहादुर सिंह, कमलाकर, सुरेश गुप्ता, प्रमोद यादव, कपिल देव तिवारी, अशोक, मनोज, मिथिलेश, प्रदेश उपाध्याय सत्येंद्र, भानू, सुनील शर्मा आदि रहे।

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