ईडब्ल्यूएस का आरक्षण न होने से अटक सकती है आंगनबाड़ी की भर्ती, हाईकोर्ट के आदेश का पालन हुआ तो दोबारा करने पड़ सकते हैं आवेदन
ईडब्ल्यूएस का आरक्षण न होने से अटक सकती है आंगनबाड़ी की भर्ती, हाईकोर्ट के आदेश का पालन हुआ तो दोबारा करने पड़ सकते हैं आवेदन
लखनऊ। बाल विकास सेवा एवं पुष्टाहार विभाग के आला अधिकारियों की हड़बड़ी के चलते आंगनबाड़ी के 53000 रिक्त पदों पर होने वाली भर्ती लटक सकती है। वजह यह है कि भर्ती के लिए निर्धारित प्रक्रिया में आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) के आरक्षण का प्रावधान नहीं किया गया है। अधिकांश जिलों में आवेदन प्रक्रिया पूरी हो चुकी है। अब इस संबंध में हाईकोर्ट ने ईडब्ल्यूएस श्रेणी को आरक्षण देने का निर्देश दिया है। जानकारों का कहना है कि इस स्थिति में अभ्यर्थियों को दोबारा आवेदन करना पड़ सकता है।
बता दें कि आंगनबाड़ी व सहायिकाओं के 53000 रिक्त पद हैं। सरकार के निर्देश पर विभाग ने 29 जनवरी 2021 को शासनादेश जारी कर जिला स्तर पर चयन समिति गठित करने और आवेदन के लिए विज्ञापन देने को कहा था हालांकि इसमें ईडब्ल्यूएस वर्ग को आरक्षण देने की बात थी, लेकिन पोर्टल पर अपलोड ऑनलाइन आवेदन के प्रारूप में इस वर्ग का कॉलम नहीं दिया गया। लिहाजा इस श्रेणी के अभ्यर्थी आवेदन ही नहीं कर पाए।
इस संबंध में उन्नाव, प्रयागराज, बहराइच, गोरखपुर व मिर्जापुर समेत कई जिलों के डीएम और सीडीओ ने शासन और निदेशालय को पत्र लिखकर मार्ग दर्शन मांगा था। इसी बीच एक अभ्यर्थी की याचिका पर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने 21 सितंबर को भर्ती में इंडब्ल्यूएस को अनिवार्य रूप से आरक्षण का आदेश दे दिया। इस पर निदेशक आईसीडीएस डॉ. सारिका मोहन ने 20 अक्तूबर को अनुमन्य आरक्षण देने के निर्देश जारी किए। कार्मिक मामलों के जानकार बताते हैं कि पुराने आवेदन निरस्त कर नये मांगे जाएंगे या फिर जमा आवेदन पत्रों में ईडब्ल्यूएस के आरक्षण का प्रावधान करने के लिए संशोधित करना पड़ेगा। दोनों स्थितियों में विधानसभा चुनाव के पहले भर्ती प्रक्रिया पूरी करना असंभव है।
विज्ञापन जारी होने के 45 दिन में पूरी होनी थी भर्ती : शासनादेश में विज्ञापन जारी होने के 45 दिन में भर्ती पूरी करने के निर्देश थे, लेकिन अभी तक 62 जिलों में करीब 49 हजार आवेदन जमा हुए हैं। शेष 13 जिलों में विज्ञापन ही जारी नहीं हुए हैं
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