एक महीने में नहीं हो सकेगा टीईटी:- इतने कम समय में इंतजाम करना मुश्किल, जनवरी के अंत तक परीक्षा कराने की तैयारी
एक महीने में नहीं हो सकेगा टीईटी:- इतने कम समय में इंतजाम करना मुश्किल, जनवरी के अंत तक परीक्षा कराने की तैयारी
पेपर लीक होने के बाद निरस्त शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) एक महीने में होने के आसार नहीं हैं। परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय को टीईटी कराने में कम से कम दो महीने लगने का अनुमान है। पेपर लीक से सरकारी की काफी किरकिरी हो चुकी है। ऐसे में शुचितापूर्वक परीक्षा कराना सबसे बड़ी चुनौती है।
दोबारा कोई खतरा मोल नहीं लेना चाहता। नए सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी को विश्वासपात्र प्रिंटिंग प्रेस चुनने के साथ प्रश्नपत्र सेट कराना, मॉडरेशन और छपाई कराना है। अन्य तैयारी भी करनी पड़ती है। पेपर जल्दी छप भी जाए तो केंद्रों तक उसे सुरक्षित पहुंचाना बड़ा काम है। सूत्रों के अनुसार टीईटी जनवरी अंत तक दोबारा हो सकता है।
अनिल भूषण ने संभाला काम
परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय के दोबारा सचिव बने अनिल भूषण चतुर्वेदी ने शुक्रवार को काम संभाल लिया। राज्य शैक्षिक अनुसंधान एवं प्रशिक्षण परिषद (एससीईआरटी) लखनऊ में संयुक्त निदेशक प्रशिक्षण पद से गुरुवार को कार्यमुक्त होकर वह शाम को प्रयागराज आए। शुक्रवार सुबह कार्यालय पहुंचकर पदभार ग्रहण किया। वहीं, रजिस्ट्रार विभागीय परीक्षाएं पद पर मनोज अहिरवार ने दोपहर बाद कार्यभार संभाला। 1995 बैच के प्रांतीय शिक्षा सेवा के अधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी पहले भी सितंबर 2018 से जून 2021 तक सचिव पद पर रह चुके हैं।
प्रशिक्षितों ने टीईटी जल्द कराने को सौंपा ज्ञापन
पेपर लीक के कारण निरस्त टीईटी जल्द कराने की मांग लेकर डीएलएड प्रशिक्षितों ने शुक्रवार को कार्यभार ग्रहण करने वाले सचिव परीक्षा नियामक प्राधिकारी अनिल भूषण चतुर्वेदी को ज्ञापन सौंपा। मांग की कि रद्द हुई परीक्षा की तिथि जल्द घोषित करें। 15 दिनों में टीईटी कराकर रिजल्ट जारी करने और इसके एक सप्ताह में शिक्षक भर्ती की लिखित परीक्षा के आवेदन लेने की मांग की। ज्ञापन सौंपने वालो में पंकज मिश्रा, राहुल यादव, अभिषेक तिवारी, विनीत, मनीष आदि रहे।
नकल माफिया पर लगे एनएसए, जब्त हो संपत्ति
-विशेषज्ञों ने कहा वर्तमान समय में परीक्षा कराना चुनौती
-परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय का किया जाए पुनर्गठन
प्रयागराज वरिष्ठ संवाददाता
परीक्षाओं में पेपर लीक और नकल की घटनाएं कैसे रोकी जाएं। यह बड़ा सवाल खड़ा हुआ है। एंड्रायड फोन के कारण प्रश्नपत्र और उत्तर मिनटों में वायरल हो जाता है। आधुनिक तकनीक ने विभिन्न आयोग एवं परीक्षा संस्थाओं के सामने समस्याएं खड़ी की है। सेवानिवृत्त अफसरों का मानना है कि इन हालात में नकल माफिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई और उन्हें आर्थिक नुकसान पहुंचाकर इन घटनाओं को रोका जा सकता है।
पूर्व माध्यमिक शिक्षा निदेशक अमरनाथ वर्मा का मानना है कि परीक्षाओं की शुचिता से खिलवाड़ करने के खिलाफ गुंडा एक्ट, गैंगस्टर और एनएसए की कार्रवाई होनी चाहिए। गलत तरीके से कमाई दौलत जब्त कर उनके भवन ध्वस्त किए जाएं ताकि दोबारा कोई ऐसा दुस्साहस न करने पाए। देशभर में कई ऐसी परीक्षाएं हो रही हैं, जिन पर कभी सवाल नहीं उठा। जो एजेंसियां और प्रेस उनके लिए काम कर रहे हैं ऐसे प्रतिष्ठित और विश्वसनीय लोगों से ही काम कराया जाए।
परीक्षा नियामक प्राधिकारी की पूर्व सचिव भावना शिक्षार्थी के अनुसार परीक्षा नियामक प्राधिकारी कार्यालय का पुनर्गठन करना चाहिए। जिन परीक्षा केंद्रों से पेपर लीक हों, उन्हें दो-चार साल नहीं आजीवन डिबार करना चाहिए। ताकि औरों को सबक मिले।
पेपर लीक से बचने को ऑनलाइन परीक्षा अपनाई
प्रयागराज। पेपर लीक से बचने के लिए कर्मचारी चयन आयोग ने अपनी परीक्षाएं ऑनलाइन कर दीं। कम्प्यूटर बेस्ड परीक्षा (सीबीटी) परीक्षा होने से एसएससी की परीक्षाओं में पेपर लीक की शिकायत कम हुई है। इस बार केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) भी पहली बार केंद्रीय शिक्षक पात्रता परीक्षा (सीटीईटी) ऑनलाइन कराने जा रहा है। इससे पहले सीटीईटी सिर्फ ऑफलाइन होता था।
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