Header Ads

DBT:- खाते से करें लेन-देन, तभी से पहुंचेगा यूनिफार्म का पैसा

 DBT:- खाते से करें लेन-देन, तभी से पहुंचेगा यूनिफार्म का पैसा

आजमगढ़। अभिभावक खाते से लेन-देन करें तभी यूनिफार्म का पैसा उनके खाते में जाएगा। शासन से जारी आदेश के क्रम में पारदर्शिता के लिए इस बार अभिभावकों के बैंक खाते में स्कूली ड्रेस, बैग, स्वेटर, जूता-मोजा का पैसा भेजा जाएगा। इसके लिए अभिभावकों से बैंक खाते का डिटेल संख्या लेकर अपलोड किया जा रहा है। इन खातों में लेन-देन जरूरी है। तभी शासन का पैसा खाते में आएगा जिन अभिभावकों के खाते निष्क्रिय हैं, उन्हें दिक्कत हो सकती है।

जिले में 2705 परिषदीय स्कूल हैं। इनमें करीब साढ़े चार लाख बच्चे पंजीकृत है। शासन ने इस बार यूनिफार्म वितरण प्रक्रिया में बदलाव किया है। बच्चों के ड्रेस के लिए धनराशि सीधे अभिभावकों के खाते में भेजी जानी है। प्रत्येक बच्चे के लिए शासन से 1100 रुपये भेजे जाएंगे। इस धनराशि से उन्हें बच्चों के लिए दो जोड़ी ड्रेस, स्वेटर, जूता-मोजा और बैग खरीदना है। हालांकि अभिभावकों के खाते में पैसा तभी पहुंचेगा, जब उनके बैंक खाते सक्रिय हों साथ ही आधार से बैंक खाता जुड़ा रहे । यदि ऐसे बैंक खाते की डिटेल दे दी, जिसमें काफी दिनों से लेन-देन नहीं हुई तो उनके खाते में पैसा नहीं पहुंचेगा। शासन के निर्देश के बाद शिक्षा विभाग अभिभावकों के खाता संख्या की फीडिंग कर अब सत्यापन में जुटा गया है। ताकि जल्द अभिभावकों के खाते में पैसे आ सके। विभाग की मानें तो अब तक एक लाख 35 हजार अभिभवकों के खाते में धनराशि भेजी गई है।



अभिभावकों ने बैंक खाता मुहैया कराया है, उसमें लेन देन अवश्य करें। निष्क्रिय खातों में यूनिफार्म का पैसा नहीं आएगा। इसलिए परेशानी हो सकती है। अभिभावकों ने कई ऐसे खाते नंबर दिए हैं जो अभी तक आधार से नहीं जुड़ा है। जिससे अभिभावकों के खाते में धनराशि नहीं जा सकी है। अभिभावक इसका विशेष ध्यान दें अतुल कुमार सिंह, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी, आजमगढ़।

पारदर्शिता के लिए बदली गाइडलाइन

आजमगढ़। शासन ने पारदर्शिता के लिए गाइडलाइन में बदलाव किया है। पहले शासन से पैसा सीधे एसएमसी (स्कूल मैनेजमेंट कमेटी) के खाते में भेजा जाता था। समिति टेंडर के जरिए यूनिफार्म आदि की खरीददारी करती थी। इसके बाद बच्चों में वितरित किया जाता था। अभिभावकों की शिकायत हमेशा रही कि ड्रेस की क्वालिटी खराब है। वहीं समय से ड्रेस और स्वेटर उपलब्ध नहीं कराया जाता है। गुणवत्ता व पारदर्शिता के लिए सरकार ने प्रणाली में बदलाव किया है।

कोई टिप्पणी नहीं