फैसला: कोर्ट ने कहा, प्रोन्नति में शर्तों के साथ आरक्षण संभव
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा कि सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति (एससी, एसटी) वर्ग के लोगों को प्रोन्नति (प्रमोशन) में आरक्षण दिया जा सकता है, लेकिन ये आरक्षण सेवा में पोस्ट/पद विशेष के लिए होगा। पूरी सेवा या वर्ग या समूह के लिए नहीं। मतलब यह कि प्रोन्नति में आरक्षण मिलेगा, लेकिन उसे देने के नियम जो एम. नगराज फैसले में तय किए थे उनमें कोई ढिलाई नहीं होगी।
मानदंड तय करने से कोर्ट का इनकार : जस्टिस एल नागेश्वर राव, संजीव खन्ना और बीआर गवई की पीठ ने फैसला सुनाते हुए सरकारी नौकरियों में एससी, एसटी को प्रोन्नति में आरक्षण देने के लिए कोई मानदंड तय करने से इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि सरकार को आरक्षित वर्ग विशेष के पिछड़ेपन के मात्रात्मक आंकड़े जुटाने ही होंगे और इन आंकड़ों के आधार पर ही प्रोन्नति में आरक्षण दिया जा सकेगा।
केंद्र सरकार तय करे: कोर्ट ने कहा कि बीके पवित्रा-2 फैसले में जो कहा गया है कि पूरी सेवा/काडर में समुचित पिछड़ेपन का प्रतिनिधित्व देखा जाएगा, वह गलत है। यह एम नगराज फैसले (2006) के विरुद्ध है। कोर्ट ने कहा कि हम इस मुद्दे पर नहीं जा रहे हैं कि प्रतिनिधित्व कितना होगा, कैसे निर्धारित किया जाएगा और उसके मापदंड क्या होंगे, उसकी पर्याप्तता/ समुचितता कैसे आंकलित या तय की जाएगी। यह केंद्र सरकार का काम है।
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