परिषदीय स्कूलों की पढ़ाई अधर में, कहीं पांच तो कहीं पन्द्रह फीसदी छात्र-छात्राएं ही कर पा रहे ऑनलाइन कक्षाएं
परिषदीय स्कूलों की पढ़ाई अधर में, कहीं पांच तो कहीं पन्द्रह फीसदी छात्र-छात्राएं ही कर पा रहे ऑनलाइन कक्षाएं
लखनऊ के 1640 परिषदीय विद्यालयों में कक्षा एक से आठ तक पढ़ने वाले दो लाख से अधिक छात्र-छात्राओं की पढाई अधर में है। कोरोना की वजह से स्कूल बंद होने से पढ़ाई पूरी तरह रुक गई है क्योंकि ऑनलाइन पढ़ाई परिषदीय विद्यालयों में हो नहीं पा रही है। दर्जन भर से अधिक स्कूलों की पड़ताल में ऑनलाइन पढ़ाई की व्यवस्था धराशायी नजर आयी और केवल 10 से 20 फीसदी बच्चों के ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ने की बात सामने आयी।
बीती पांच जनवरी से कोरोना महामारी को देखते हुए स्कूल समेत सभी शैक्षिक संस्थान अभी बंद हैं और आगे 7 फरवरी तक बंद रहेंगे। ऑनलाइन पढ़ाई के आदेश हैं लेकिन परिषदीय विद्यालयों में ऑनलाइन पढ़ाई का नतीजा कुछ खास नहीं निकल रहा है। अधिकांश बच्चे संसाधन नहीं होने की वजह से ऑनलाइन कक्षाओं से जुड़ नहीं पा रहे हैं कई विद्यालयों के शिक्षकों की ड्यूटी वैक्सीनेशन में लगी होने की वजह से भी पढ़ाई नहीं हो पा रही है।
जिसका असर कहीं न कहीं प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से छात्र-छात्राओं पर पड़ रहा है और उनकी पढ़ाई नियमित रूप से प्रभावित हो रही है।मोहनलालगंज
15 प्रतिशत बच्चे बड़ी मुश्किल से पढ़ रहे
यहां परिषदीय विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाओं की स्थिति दयनीय है। मोबाइल के अभाव में बच्चों की संख्या ऑनलाइन कक्षाओं में नहीं बढ़ पा रही है। अपर प्राइमरी स्कूल धनुवासांड में 15 प्रतिशत बच्चे ही मुश्किल से पढ़ पा रहे हैं। कई शिक्षकों की ड्यूटी वैक्सीन वेरिफिकेशन में लगी है। जिसकी वजह से भी बच्चों की ऑनलाइन शिक्षा पर बुरा असर पड़ रहा है। शिक्षिका रजनी दीक्षित ने बताया कि कई अभिभावक बच्चों को मोबाइल नही देते हैं। जिससे आधे बच्चे ही पढ़ पा रहे हैं। बाकी बचे आधे बच्चों की शिक्षा पूरी तरह से अधर में है।
प्रशासन का पक्ष
सरोजनीनगर
20 बच्चे भी नहीं पढ़ रहे ऑनलाइन
परिषदीय विद्यालयों में 20 फीसदी बच्चे भी ऑनलाइन पढ़ाई नहीं कर पा रहे हैं। प्राथमिक विद्यालय बनी की प्रधानाध्यापिका उषा रानी के ने बताया किऑनलाइन पढ़ाई के दौरान बच्चों को होमवर्क दिए जाने के अलावा एनटीआरसी इत्यादि जैसे शैक्षणिक चैनलों पर उपलब्ध पाठ्यक्रम को भी पढ़ाया जा रहा है। बड़ी संख्या में बच्चे ऐसे हैं जिनके पास स्मार्ट फोन नहीं है या इंटरनेट की समस्या है।
शिक्षक स्कूल आने से ही कतरा रहे
नगराम नगर पंचायत समेत क्षेत्र के अधिकांश प्राथमिक विद्यालयों के शिक्षक स्कूल आने से गुरेज कर रहे हैं। हिन्दुस्तान की पड़ताल में नगर पंचायत नगराम के परिषदीय प्राथमिक विद्यालय कटरा में दोपहर साढ़े बारह बजे स्कूल में शिक्षा मित्र मीरा देवी मौजूद थीं जबकि इंचार्ज शालिनी त्रिपाठी, सहायिका शालिनी शर्मा मौजूद नहीं थी। वहीं प्राथमिक विद्यालय शेखाना में दोपहर पौने एक बजे स्कूल का मुख्य गेट खुला था। अंदर सभी कमरों में ताले लगे थे। स्कूल की प्रिंसिपल रत्ना देवी मौजूद नहीं थी। नगराम के सभी विद्यालयों में 15 से 20 प्रतिशत ही बच्चे पढ़ाई कर पा रहे ।
बीकेटी
बच्चों के पास नहीं एंड्रायड मोबाइल
बीकेटी में 269 परिषदीय विद्यालय हैं। ऑनलाइन पढ़ाई बस नाममात्र हो रही है। 15 से 18 फीसदी बच्चे ही जुड़ पाते हैं। सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चों के घरों में एंड्रायड मोबाइल फोन न होने से अभाव लगातार बना हुआ है। वहीं मल्लाहन खेड़ा सहित कई जगहों पर स्कूल ऐसे भी है जहां शिक्षक लगातार बच्चों को कक्षाओं से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।
कक्षाओं में सुधार के लिए प्रयास किया जा रहा
बच्चों की ऑनलाइन कक्षाओं में सुधार के लिए प्रयास किया जा रहा है। वैक्सीन वैरीफिकेशन में कई शिक्षकों की ड्यूटी लगी है। इसके बाद चुनाव में ड्यूटी लगनी है। मध्य मार्च तक पढ़ाई के हालात सुधरेंगे। सभी शिक्षकों को ऑनलाइन कक्षा गंभीरता से लेने के निर्देश दिए गए हैं। उम्मीद है कि सभी शिक्षक मामले की गंभीरता समझते हुए इस आदेशों का गंभीरता से पालन करेंगे। विजय प्रताप सिंह, बेसिक शिक्षा अधिकारी
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