सीएम योगी आदित्यनाथ ने लगाई मंत्रियों की पाठशाला, मंत्रियों के कामकाज में न रहे परिवार का हस्तक्षेप
विकास और सुशासन की शपथ लेने के साथ ही मंत्रिपरिषद की पहली बैठक में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मंत्रियों को अपने तेवर और काम के तौर-तरीकों से वाकिफ करा दिया। उन्होंने साफ कह दिया है कि मंत्रियों के कामकाज में परिवार का कोई दखल न रहे। वहीं, ट्रांसफर-पोस्टिंग को लेकर भी आगाह कर दिया कि यह बिना भेदभाव के, पूरी पारदर्शिता के साथ होने चाहिए। समझाया कि हर काम परफार्मेंस आधारित होना चाहिए, इसलिए अकारण कोई फाइल भी लंबित नहीं रहे।
शपथ ग्रहण समारोह के बाद लोकभवन में योगी आदित्यनाथ ने नए मंत्रिमंडल के साथ पहली परिचयात्मक बैठक की। परिचय के बाद इस बैठक ने नए मंत्रियों के लिए पाठशाला का रूप ले लिया। राष्ट्रवाद, सुरक्षा, सुशासन और विकास पर विश्वास जताने के लिए प्रदेश की जनता के प्रति आभार व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने राज्य की प्रगति और समृद्धि में योगदान करने के लिए पिछली सरकार के मंत्रियों के प्रति भी आभार जताया।
उन्होंने कहा कि जनसेवा से बढ़कर कोई और पुण्य का काम नहीं है। दायित्वों का प्रतिबद्धता और निष्ठा के साथ निर्वहन करने से आत्मिक संतुष्टि मिलती है। मंत्रियों को जनता और प्रदेश की सेवा करने का एक पुनीत अवसर मिला है। इस अवसर को उपलब्धि में बदलते हुए प्रदेश के विकास और जनता की खुशहाली के लिए हम सभी को निरंतर प्रयासरत रहना होगा।
सीएम योगी ने कहा कि सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता और ईमानदारी बेहद महत्वपूर्ण होती है। कार्याें को नीति-नियमों के तहत किए जाने पर बल देते हुए कहा कि फाइलों का निस्तारण समयबद्धता के साथ होना चाहिए। किसी भी स्थिति में पत्रावलियां लंबित नहीं रहें। समय से अपने कार्यालय में उपस्थित रहकर काम करें और परफार्मेंस आधारित काम पर फोकस हो।
पहले कार्यकाल में भी भ्रष्टाचार पर जीरो टालरेंस का संदेश लगातार देते रहे योगी ने नई पारी की पहली बैठक में ही मंत्रियों को दो टूक संदेश दे दिया कि ट्रांसफर-पोस्टिंग बिना किसी भेदभाव के पूरी पारदर्शिता के साथ होना चाहिए। इसके लिए आनलाइन ट्रांसफर पद्धति को अपनाया जाए। शासन की स्थानांतरण नीति के अनुरूप ही ट्रांसफर होने चाहिए।
जनप्रतिनिधि होने के नाते मंत्रियों का जनता के साथ सतत संपर्क और संवाद रहे। जनता की शिकायतों व समस्याओं के समाधान के लिए नियमित जनसुनवाई की जाए। सीएम योगी ने समझाया कि सरकार के प्रतिनिधि के रूप में मंत्रियों के कार्य व्यवहार और आचरण पर सभी की दृष्टि रहती है, इसलिए सभी मंत्री सादगी और शुचिता का उदाहरण प्रस्तुत करें।
उन्होंने कहा कि मंत्री के सार्वजनिक जीवन से जुड़े दायित्वों और काम में परिवार का किसी भी स्तर पर हस्तक्षेप नहीं होना चाहिए। अपने निजी स्टाफ पर भी विशेष ध्यान देते हुए उनकी गतिविधियों पर नजर रखनी होगी। उन्होंने प्रभारी मंत्री के रूप में प्रत्येक माह जिले में जाकर विकास कार्यों की समीक्षा के साथ ही भौतिक सत्यापन करते हुए जनता से फीडबैक लेने की भी सलाह दी।
फिर आइआइएम जाकर प्रबंधन सीखेंगे मंत्री : मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्यपाल के साथ मंत्रिपरिषद की बैठक प्रस्तावित की जाए। प्रदेश के विकास को नई गति देने के लिए आइआइएम, लखनऊ में मंत्रिपरिषद के सदस्यों के लिए विशेष कार्यक्रम आयोजित करने के लिए भी कहा। उल्लेखनीय है कि पिछली सरकार के गठन के बाद भी मंत्रियों के लिए आइआइएम में प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन किया गया था।
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