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सपा का पुरानीं पेंशन लागू करने का वादा क्यों नहीं दिखा पाया जादू जानिए वजह


लखनऊ। सपा ने कर्मचारियों को लुभाने के लिए पुरानी पेंशन लागू करने का वादा कर बड़ा दांव खेला। अप्रैल वर्ष 2005 के बाद भर्ती शिक्षकों व कर्मियों के इस मुद्दे को हवा देने में विरोधियों ने कोई कसर नहीं छोड़ी। कर्मचारी संगठनों ने भी इस मुद्दे को उछालने में पूरी ताकत लगाई लेकिन कुछ ने इस मांग को जायज नहीं बताया। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के अध्यक्ष जेएन तिवारी इसका विरोध कर कर्मचारियों के निशाने पर भी आए, लेकिन चुनाव पर इसका कोई खास असर नहीं पड़ा।


कर्मचारी नेता जेएन तिवारी कहते हैं कि पुरानी पेंशन लागू करने के लिए केंद्र से मंजूरी जरूरी है। सिर्फ यहां इस वादे को कर विपक्षी दल कर्मियों को गुमराह करने की कोशिश में जुटे रहे। 3.75 लाख वोट पोस्टल-बैलेट के माध्यम से पड़े। जिस तरह भाजपा ने शुरुआत से ही विजयी बढ़त बनाई, उससे साफ है कि कर्मचारियों का भी काफी वोट इस पार्टी को मिला। उधर अटेवा पेंशन बचाओ मंच के अध्यक्ष विजय कुमार बंधु का कहना है कि बंगाल के बाद राजस्थान और छत्तीसगढ़ सरकार ने इसे लागू किया। दूसरी राज्य सरकारें भी मंथन कर रही हैं, पूरे देश में बड़ा आंदोलन चल रहा है। यह मुद्दा खत्म नहीं होगा। राज्य कर्मचारी संयुक्त परिषद के महामंत्री अतुल मिश्रा कहते हैं कि उन्हें उम्मीद है कि योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में दोबारा बनने जा रही भाजपा सरकार आउटसोर्सिंग कर्मचारियों की समस्याओं का स्थायी हल खोजेगी।

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