कर्मचारी नौकरी छोड़ चुनाव लड़े, पेंशन की हकदार हो जाएंगे : CM
कर्मचारी नौकरी छोड़ चुनाव लड़े, पेंशन की हकदार हो जाएंगे : CM
शिमला ! विधायकों के सैरसपाटे के खर्च से जुड़ी खबरों पर मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने सरकारी कर्मचारियों व मीडिया को खूब खरी-खोटी सुनाई। उन्होंने कहा कि प्रदेश से बाहर माननीयों को ठहरने में दिक्कत न आए, इसलिए एक कमरे की अधिकतम सीमा 7500 रुपये तक की थी। अब केवल इसे वास्तविक तय किया गया है। कई बार फाइव स्टार का कमरा भी पांच हजार में मिलता है। लेकिन साल की चार लाख से ज्यादा राशि नहीं दी जाएगी। मौजूदा सरकार ने तीन वर्ष पहले चार लाख रुपये की सीमा तय की थी। उन्होंने कहा कि इंटरनेट मीडिया में हमारी खूब सेवा की गई है।
खबर में भी सैरसपाटे के लिए ड़ेढ़ लाख बढ़ाने का जिक्र है। अभी सरकार ने कोई वृद्धि नहीं की है। इंटरनेट मीडिया व चैनल में तो कमेंट पढऩे लायक नहीं हैं। हमारी पेंशन पर भी टिप्पणी की गई है। जयराम ठाकुर ने सीधे शब्दों में कहा कि कर्मचारी नौकरी छोड़ दें और चुनाव लड़ें, उनका स्वागत होगा। पेंशन के भी हकदार हो जाएंगे। विधायकों का 90 प्रतिशत पैसा लैप्स हो जाता है। यह पैसा प्रयोग नहीं होता, सरकार के पास रहता है।
विधायकों की हुई है बदनामी, दें व्यवस्था : आशा
बनीखेत की विधायक आशा कुमारी ने कहा कि इससे विधायकों की बदनामी हुई है। इसलिए विधानसभा अध्यक्ष इस मामले में व्यवस्था दें।
सुक्खू ने उठाया था मामला
कांग्रेस विधायक सुखविंदर सिंह सुक्खू ने प्रश्नकाल के तत्काल बाद प्वाइंट आफ आर्डर के तहत मामला उठाया। उन्होंने कहा कि कुछ चैनल और अखबारों में खबर आई है कि सरकार ने विधायकों के सैरसपाटे के लिए डेढ़ लाख रुपये की वृद्धि की है। इसके माध्यम से विधायकों को बदनाम किया जा रहा है। इसमें विशेषाधिकार हनन प्रस्ताव लाया जाए। विधायकों की बेसिक सेलरी सीनियर क्लर्क के बराबर है। अधिकारियों व डाक्टर की सेलरी कहीं अधिक है।
छवि पर बुरा असर, संज्ञान लूंगा : परमार
विधानसभा अध्यक्ष विपिन परमार ने कहा कि शाम को पोर्टल पर और सुबह अखबार में विधायकों पर टिप्पणी आ रही थी। सैरसपाटे के लिए लाखों बढ़ा दिए, इससे माननीयों की छवि पर बुरा असर हुआ है। खबरें चाहे ङ्क्षप्रट मीडिया में छपी हों या इलेक्ट्रानिक मीडिया में, सबका संज्ञान लूंगा। इन पर नियमों के तहत कार्रवाई की जाएगी। छवि ऐसी प्रस्तुत की जैसे ये लूटने आए हों।
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