फर्जी बेसिक शिक्षक गिरफ्तार: 15 साल की नौकरी, प्रमोशन भी पाया, सगे भाई ने की शिकायत तो पकड़ा गया
मैनपुरी में भाई के दस्तावेजों पर शिक्षक की नौकरी करने वाले जालसाज को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है। कानपुर का रहने वाला आरोपी व्यक्ति 15 साल तक विभाग की आंखों में धूल झोंक सरकारी नौकरी करता रहा। राज तब खुला जब उसके सगे भाई ने उसकी शिकायत की। जांच के बाद 2020 में उसे बर्खास्त कर दिया गया था। इसके बाद से आरोपी फरार था। सोमवार को पुलिस ने उसे पकड़कर न्यायालय में पेश किया।
कानपुर के थाना काकवन क्षेत्र के गांव महादेवा निवासी वीरेंद्र सिंह ने वर्ष 1988 को एमए की परीक्षा उत्तीर्ण की थी। उसका भाई धीरेंद्र वर्ष 1997 में सहायक अध्यापक के पद पर भर्ती होने के बाद शिक्षक बन गया था। भाई के प्रथम श्रेणी के नंबर होने की वजह से वीरेंद्र के शातिर दिमाग ने एक योजना तैयार की। उसने भाई के नाम से अपने पते पर फोटो लगाकर आधार कार्ड बनवा लिया और उसे पैन कार्ड से लिंक भी करा लिया।
आरोपी ने 2004 में पाई थी पहली तैनाती
भाई के अंकपत्र और डिग्री पर अगस्त 2004 को भोगांव में सहायक अध्यापक के पद पर तैनाती पा ली थी। इसके बाद 2005 में बीएसए कार्यालय द्वारा नियुक्ति पत्र भी मिल गया था। किशनी में तैनाती के दौरान वर्ष 2020 में भाई धीरेंद्र की शिकायत पर जांच हुई और वीरेंद्र को सेवा से बर्खास्त कर दिया गया था।
इंस्पेक्टर कोतवाली अरविंद कुमार ने बताया कि कोतवाली में मुकदमा दर्ज होने के बाद से ही आरोपी शिक्षक फरार चल रहा था। बताया कि सोमवार की सुबह सूचना मिली कि बर्खास्त वीरेंद्र जेल तिराहा के पास कहीं जाने की फिराक में है। इस पर टीम ने उसे गिरफ्तार कर लिया। थाने लाकर पूछताछ की गई तो उसने अपना नाम पता बताया। आरोपी को पूछताछ करने के बाद न्यायालय में पेश किया गया।
आरोपी ने सगे भाई को भी धोखे में रखा
आरोपी वीरेंद्र सिंह पढ़ा लिखा है, लेकिन उसके शातिर दिमाग ने गलत रास्ता चुना। उसने अपने सगे भाई को धोखे में रखकर अपने नाम पते व फोटो से आधार कार्ड बनवा लिया। इतना ही नहीं वर्ष 2004 में भाई की डिग्री व अंकपत्र पर डायट भोगांव से सहायक अध्यापक के पद पर नियुक्ति भी पा ली। इसके बाद घिरोर के प्राथमिक विद्यालय मडैया में तीन माह का प्रशिक्षण प्राप्त किया। पहली नियुक्ति वर्ष 2006 को प्राथमिक विद्यालय जगदीशपुर विकास खंड किशनी में हुई थी।
15 साल तक करता रहा नौकरी, प्रमोशन भी पाया
2011 तक वह नियुक्त रहने के बाद प्रमोशन पाकर सहायक अध्यापक पर जूनियर हाई स्कूल तरिहा किशनी में नियुक्त था। विभाग की आखों में धूल झोंक वह 15 साल तक नौकरी करता रहा। उसकी जालसाजी तब खुली तो जब उसके भाई धीरेंद्र का आधार कार्ड पैन कार्ड से लिंक नहीं हुआ। इस पर धीरेंद्र ने बीएसए कानपुर देहात से उसकी शिकायत की। इसके बाद जांच की प्रक्रिया शुरू हुई। जुलाई 2020 को वीरेंद्र का बर्खास्त करने के साथ ही उसके खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था।
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