शासन से अस्वीकृत हुआ परिषदीय स्कूलों में स्मार्ट क्लास का प्रस्ताव
जिले के सरकारी परिषदीय स्कूलों के बच्चों को निजी स्कूलों की तर्ज पर स्मार्ट क्लास में पढ़ने का सपना चकनाचूर हो गया। बच्चों को स्कूली शिक्षक ही प्रोजेक्टर के जरिए स्कूल में पढ़ाने की योजना सिर्फ प्रस्ताव भेजने तक ही सिमट कर रह गई। अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम अंतर्गत मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्र वाले आठ ब्लॉक आच्छादित करने की गरज से शासन को प्रस्ताव भेजा गया था। वित्तीय वर्ष में एक भी स्मार्ट क्लास की स्वीकृति नहीं मिली।
वित्तीय वर्ष में अल्पसंख्यक कल्याण विभाग से संचालित प्रधानमंत्री जन विकास कार्यक्रम के तहत अल्पसंख्यक बाहुल्य क्षेत्र में शामिल आठ ब्लॉकों के परिषदीय स्कूलों में स्मॉर्ट क्लास संचालन के लिए प्रस्ताव मांगा मांगा गया था। इनमें नौगढ़, बर्डपुर, बढ़नी, इटवा, खुनियांव, भनवापुर, डुमरियागंज, मिठवल ब्लाक शामिल रहा। प्रस्ताव मिलने और स्वीकृत होने के बाद इन ब्लॉकों के मिडिल और प्राथमिक विद्यालयों में पूरी तरह से लागू होना था। नए सिरे से सभी शिक्षकों को चरणवार ट्रेनिंग होनी थी। स्कूलों में बच्चे कंप्यूटर लैब में डिजिटल बुक पढ़ने की व्यवस्था होती। साथ ही विषयों में नई-नई तकनीक की जानकारी भी ले सकते। साथ ही किसी चीज को वीडियो, फोटो और स्केच के जरिए भी जानने में दक्ष होते। इस प्रयासों पर शासन ने पानी फेर दिया। आठ बलॉकों के लिए भेजे गए प्रस्ताव पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। लिहाजा जिले के बच्चों को सरकारी स्कूलों में स्मार्ट क्लास का सपना पूरा नहीं हो सका। जिला अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी तन्मय ने बताया कि प्रस्ताव मिलने के बाद स्वीकृति के शासन को भेजा गया था। अब तक स्वीकृति नहीं मिल सकी है।
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