चपरासी से सहायक अध्यापक बने मृतक आश्रित को चपरासी बनाए रखें
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मृतक आश्रित कोटे में चपरासी पद पर नियुक्त याची संजय कुमार वर्मा को बीएड करने के बाद सहायक अध्यापक नियुक्त करने को अवैध करार दिया है। कहा है कि मृतक आश्रित सेवा नियमावली परिवार को तत्काल आर्थिक संकट से उबारने के लिए है। यह रोजगार पाने का श्रोत नहीं है।
खंडपीठ ने कहा कि जिला विद्यालय निरीक्षक को याची को सहायक अध्यापक नियुक्त करने का अधिकार नहीं था। खंडपीठ ने एकलपीठ के याची को सहायक अध्यापक पद पर बने रहने व वेतन भुगतान करने के आदेश को रद्द कर दिया है और कहा है कि याची को चपरासी पद पर कार्य करने दिया जाए। यह आदेश मुख्य न्यायाधीश राजेश बिंदल तथा न्यायमूर्ति पीयूष अग्रवाल की खंडपीठ ने राज्य सरकार की एकलपीठ के फैसले के खिलाफ दाखिल विशेष अपील को स्वीकार करते हुए दिया है। अपील पर राज्य सरकार की तरफ से अपर महाधिवक्ता एमसी चतुर्वेदी व स्थाई अधिवक्ता राजीव सिंह ने बहस की।
मालूम हो कि याची के पिता हरिन्द्र राम वर्मा जनता इंटर कालेज नवा नगर, बलिया में सहायक अध्यापक थे। जिनकी सेवाकाल में 18 सितंबर 1985 को मौत हो गई। पीछे विधवा पत्नी व नाबालिग बेटा था। सन 2000 में मां ने बालिग होने पर अपने बेटे याची की चपरासी पद पर नियुक्ति का आवेदन दिया। जिसका अनुमोदन नहीं मिला। याची ने 2004 में बी एड कर लिया और सहायक अध्यापक नियुक्त किए जाने की अर्जी दी। जिला विद्यालय निरीक्षक ने नियुक्ति का अनुमोदन भी कर दिया। 2011 में कोर्ट का फैसला आया कि अध्यापक छात्र अनुपात में ही नियुक्त किए जाएं।
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