बेसिक विभाग पर अवमानना की कार्रवाई हुई तो कोर्ट की अवमानना की कार्यवाही होने पर अधिकारी-कर्मचारी की जिम्मेदारी तय होगी
बेसिक शिक्षा विभाग के खिलाफ न्यायालयों में दर्ज मामलों में समय पर प्रत्यावेदन निस्तारित नहीं होने के कारण अदालत की ओर से अवमानना की कार्यवाही करने और न्यायालय के निर्णय का समय पर पालन या अपील नहीं होने पर न्यायालय की ओर से विभाग के खिलाफ आदेश पारित करने पर संबंधित अधिकारी और कर्मचारी की जिम्मेदारी तय की जाएगी। विभाग के खिलाफ विभिन्न न्यायालयों में लंबित मामलों के समयबद्ध निस्तारण के लिए प्रमुख सचिव दीपक कुमार ने दिशानिर्देश जारी किए है।
विभाग की ओर से अवमानना प्रकरणों की समीक्षा में सामने आया है कि 60 प्रतिशत अवमानना के मामले ऐसे हैं जिनमें न्यायालय की ओर से समय सीमा में मामले के निस्तारण के आदेश के बाद भी विभाग की ओर से मामले को निस्तारित नहीं किया जाता है। जब याची की ओर से अवमानना दाखिल की जाती है तो संबंधित अधिकारी या कर्मचारी प्रत्यावेदन के निस्तारण की आख्या प्राप्त की जाती है या अवमानना में प्रतिशपथ पत्र दाखिल किया जाता है।
प्रमुख सचिव ने इसे सरासर अनुचित माना है। यह भी सामने आया है कि यदि किसी निर्णय के खिलाफ अपील करनी है तो उसकी समय सीमा बीत जाने के बाद अपील का प्रस्ताव शासन में प्रस्तुत किया जाता है। प्रमुख सचिव ने माना है कि इससे न्यायालय के समक्ष असहज स्थिति उत्पन्न होने से विभाग का पक्ष कमजोर होता है।
प्रमुख सचिव ने न्यायालय की ओर से मामले का निस्तारण के आदेश जारी करने के बाद समयबद्ध प्रत्यावेदन निस्तारण करने और अपील के लिए भी समय पर निर्णय लेकर कार्यवाही करने के निर्देश दिए है। उन्होंने महाधिवक्ता की वेबसाइट पर प्रतिशपथ पत्र दाखिल करने और लंबित वादों के समय पर निस्तारण के लिए महाधिवक्ता, मुख्य स्थाई अधिवक्ता और विभागीय पैरोकार से समन्वय स्थापित कर प्रतिशपथ पत्र दाखिल कर वेबसाइट पर सूचना अपलोड करने के निर्देश दिए है।
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