परिषदीय स्कूलों के भवन निर्माण में खेल, 15 साल के भीतर हुए जर्जर
प्रयागराज : भ्रष्टाचार मुक्त कार्यप्रणाली का दावा अक्सर होता है, लेकिन जमीनी हकीकत उससे उलट होती है। कुछ ऐसा ही खेल हुआ है परिषदीय स्कूलों के भवन निर्माण में। वर्ष 2006 से 2010 के बीच बने लगभग तीन दर्जन विद्यालय जर्जर हो गए हैं। जर्जर भवनों के गिरने से बड़ा हादसा न हो जाए, उसके लिए लाखों रुपये में बने उन विद्यालयों को ध्वस्त करने की तैयारी चल रही है। बेसिक शिक्षा विभाग परिषदीय स्कूलों का संचालन करवाता है। भवन निर्माण के लिए संस्था का निर्धारण बेसिक शिक्षा विभाग की ओर से किया जाता है। अधिकारियों को कार्यदायी संस्था के काम की गुणवत्ता जांचने के बाद बजट पास करना होता है। इसके बावजूद घटिया निर्माण हो गया। अब निर्माण में मानक की अनदेखी का हवाला देते हुए कार्यदायी संस्था व संबंधित क्षेत्र के बीईओ को जिम्मेदार ठहराते हुए कार्रवाई की भी तैयारी है। बीएसए प्रवीण कुमार तिवारी का कहना है कि शासन से निर्देश मिला है कि जो भवन 15 वर्ष से अधिक पुराने नहीं हैं, लेकिन वह बिना किसी आपदा के जर्जर हो गए, उनके निर्माण में मानक की अनदेखी हुई है तो निर्माण प्रभारी, खंड शिक्षाधिकारी व अन्य जो उसके लिए उत्तरदायी हो पर कठोर कार्रवाई की जाए। चाका विकासखंड में एक, कौड़िहार द्वितीय में एक, मेजा में छह, शंकरगढ़ में सात, उरुवा ब्लाक में दो ऐसे भवन हैं। कोरांव विकासखंड में चार, मांडा, जसरा, मऊआइमा में एक-एक भवन हैं जो 15 साल से पहले जर्जर हो गया। बहरिया में पांच, हंडिया विकासखंड में चार और होलागढ़ में दो स्कूल भवनों को ध्वस्त कराया जा रहा है। सभी निर्धारित समय से पहले खस्ताहाल हुए हैं। इनके लिए सभी जिम्मेदारों पर कार्रवाई सुनिश्चित की जा रही है।
113 भवनों को ध्वस्त कराने को शासन से आदेश का इंतजार जिले में कुल 360 जर्जर भवन चिह्नित किए गए हैं। इनमें से 120 को ध्वस्त करा दिया गया है। पांच लाख तक की लागत वाले 20 अन्य भवनों के ध्वस्त कराने के लिए डीएम से अनुमति मिल चुकी है। पांच लाख से अधिक और 10 लाख तक की कीमत वाले 95 स्कूल भवनों को ध्वस्त कराने के लिए शिक्षा निदेशक को लिखा गया है। दस लाख से अधिक कीमत वाले 113 जर्जर भवनों के ध्वस्तीकरण के लिए शासन से अनुमति मांगी गई है। 12 ऐसे भवन भी चिह्नित हैं जिनके मरम्मतीकरण के लिए प्रस्ताव बनाकर राज्य परियोजना कार्यालय को भेजा गया है।
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