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विवाहित पुत्री को आश्रित कोटे में नियुक्त न देने का आदेश रद्द


प्रयागराज। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने बिजली विभाग बरेली के अधिशासी अभियंता के विवाहिता पुत्री को मृतक आश्रित कोटे में नियुक्ति देने से इन्कार करने के आदेश को रद कर दिया है। याची की अर्जी पर मृतका के पुत्र को नोटिस जारी कर पक्षों को सुनकर तीन माह में सकारण आदेश पारित करने का निर्देश दिया है। यह आदेश न्यायमूर्ति अजित कुमार ने उन्नाव की अंकिता सक्सेना की याचिका पर दिया है। इस याचिका पर अधिवक्ता घनश्याम मौर्य ने बहस की।


हाई कोर्ट ने कहा है कि पुत्री के विवाहित होने के आधार पर आश्रित की नियुक्ति करने से इंकार नहीं किया जा सकता। इनका कहना था कि याची की मां बिजली विभाग में कार्यरत थी, उनकी मौत हो गई। याची का भाई अपनी पत्नी परिवार के साथ अलग रहता है। मां ने वसीयत कर सारी संपत्ति पुत्री को सौंप दी है। कोर्ट ने कहा कि विपक्षी पुत्र को भी सुनकर आदेश दें। याची वसीयत के साथ अर्जी दाखिल करें।

चांदपुर व चिरईगांव की औद्योगिक आस्थान की यथास्थिति बरकरार रखने का निर्देश

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने चांदपुर एवं चिरई गांव वाराणसी स्थित औद्योगिक विकास के लिए अधिगृहीत भूमि की यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है और राज्य सरकार से दो हफ्ते में जवाब मांगा है।

यह आदेश न्यायमूर्ति ए आर मसूदी तथा न्यायमूर्ति विक्रम डी चौहान की खंडपीठ ने ज्योति शंकर मिश्र व दो अन्य की याचिका पर दिया है। याची अधिवक्ता उत्कर्ष खन्ना का कहना है कि वर्षों पहले औद्योगिक आस्थान स्थापित करने के लिए जमीन अधिगृहीत की गई थी।कुछ आवंटियों ने उद्योग नहीं लगाये तो उनका आवंटन निरस्त कर 2018मे निविदा के जरिए पुनः नये लोगों को आवंटन किया गया। आवंटियों को विभाग ने कब्जा नहीं सौंपा और निरस्त आवंटियों को आवंटन बहाल करने की कोशिश की जा रही है। इसे चुनौती दी गई है। याची का कहना है कि उसे आवंटित जमीन का कब्जा दिलाया जाय।

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