नियमित सेवा से पहले दस्तावेज का सत्यापन क्यों नहीं : हाई कोर्ट
प्रयागराज: इलाहाबाद हाई कोर्ट ने माध्यमिक शिक्षा निदेशक द्वारा एलटी अध्यापक को बर्खास्त करने के आदेश पर रोक लगा दी। अध्यापक को फर्जी बीएड अंकपत्र व डिग्री के आधार पर नियुक्ति पाने का दोषी करार देते हुए बर्खास्त कर दिया गया था। कोर्ट ने राज्य सरकार को 1993 में तदर्थ नियुक्त अध्यापक को 2008 में नियमित करने व 2015 में चयन वेतनमान देने वाले शिक्षा विभाग कुशीनगर के सभी अधिकारियों के खिलाफ जांच करने का निर्देश दिया है।
अधिकारियों की जवाबदेही तय कर तीन माह में रिपोर्ट मांगी है। कोर्ट ने कहा कि दस्तावेज का सत्यापन नियमित सेवा में लेने के समय ही किया जाना चाहिए था। ऐसा क्यों नहीं किया गया? फर्जी अंक पत्र वाला व्यक्ति सरकारी धन से कैसे नियुक्त किया गया? कोर्ट ने निदेशक के आदेश पर रोक लगाते हुए कहा है कि याची के अध्यापन कार्य में किसी प्रकार का अवरोध उत्पन्न न किया जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने जनता इंटर कालेज रामकोला, कुशीनगर कृषि अध्यापक अशोक कुमार सिंह की याचिका पर दिया है। मामले के अनुसार याची एलटी ग्रेड कृषि अध्यापक पद पर तदर्थ रूप में छह मार्च 1993 को नियुक्त किया गया। क्षेत्रीय समिति ने 15 सितंबर 2008 को सेवा नियमित कर दी।
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