RTE के तहत 1.31 लाख गरीब बच्चे निजी स्कूल में पहुंचे, वर्तमान शैक्षिक सत्र में ये जिले हैं टॉप टेन में
शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 के तहत यूपी में वर्तमान शैक्षिक सत्र में नया रिकार्ड बनाया है। इससे पहले कभी भी इतनी बड़ी संख्या में गरीबों के बच्चों का प्रवेश निजी स्कूलों में नहीं हुआ।
सत्र 2022-23 में निजी स्कूलों में 1.31 लाख गरीब व अलाभित समूह के बच्चों का प्रवेश शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 (आरटीई) के तहत हो चुका है। अभी तीसरी लाटरी के लिए 10 जून तक आवेदन किया जा सकता है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश के बाद सभी निजी स्कूलों को आरटीई 2009 के मुताबिक गरीब व सामाजिक रूप से वंचित वर्गों के बच्चों के लिए कक्षा एक में प्रवेश देने के निर्देश दिए हैं। इन बच्चों को कक्षा आठ तक निशुल्क शिक्षा दी जाएगी। इसमें फीस का भार सरकार उठाती है। चयनित छात्रों के एडमिशन में आनाकानी करने पर निजी स्कूलों पर कार्यवाही भी की जाती है। बेसिक शिक्षा विभाग के निदेशक सर्वेन्द्र विक्रम बहादुर सिंह ने बताया कि तीसरे चरण की लॉटरी 15 जून को निकलेगी और 30 जून तक दाखिले होंगे। इसके तहत सरकार निजी स्कूलों केा 450 रुपये प्रतिमाह प्रति छात्र फीस प्रतिपूर्ति करती है।
पौने पांच लाख गरीब बच्चे पढ़ रहे हैं निजी स्कूलों में : देश में आरटीई कानून 2009 में ही लागू किया गया था। पूर्ववर्ती सपा सरकार में 2012 से 2016 तक लगभग 21 हजार बच्चों के एडमिशन हुए थे। जबकि 2017 से 2021-22 तक प्रवेश लिए हुए 3.41 लाख बच्चे निजी स्कूलों में अब भी पढ़ाई कर रहे हैं। इस सत्र में 1.31 लाख बच्चों का प्रवेश हो चुका है। पिछले शैक्षिक सत्र में लगभग एक लाख बच्चों का प्रवेश हुआ था।
वर्तमान शैक्षिक सत्र में ये जिले हैं टॉप टेन में
जिला बच्चे
लखनऊ 14246
कानपुर नगर 8077
वाराणसी 7321
आगरा 5350
गौतमबुद्धनगर 5049
गाजियाबाद 4515
मुरादाबाद 4097
अलीगढ़ 4091
मीरजापुर 3147
मेरठ 3124
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