सीएम ऑफिस से आ रहा फोन, कब खरीदी यूनिफार्म
गोंडा। मुख्यमंत्री कार्यालय ने परिषदीय स्कूलों के बच्चों को यूनिफार्म, स्वेटर, स्कूल बैग व जूते-मोजे खरीदने के लिए दिए गये अनुदान की जांच शुरू कर दी है। जिले के चार लाख छात्र-छात्राओं के अभिभावकों को करीब 42 करोड़ रुपये का अनुदान दिया गया था। अब बजट के उपयोग की पड़ताल सीएम कार्यालय ने शुरू कर दी है। इसके लिए 1,752 अभिभावकों से उनके मोबाइल पर कॉल करके फीडबैक लिया गया है, इसमें लोगों से बजट के सदुपयोग के बारे में जानकारी ली गई। इस दौरान अभिभावकों ने तरह-तरह के जवाब दिए। किसी ने अभी बैंक खाता ही नहीं देखने की बात कही तो किसी ने धनराशि कम होने या पुरानी सामग्री के उपयोग की बात भी कही है।
बेसिक शिक्षा से दिए गये बजट की जांच के दौरान सवाल पर कुछ अभिभावकों ने कहा कि पिछले वर्ष की यूनिफार्म अभी पहनी जा सकती है तो क्यों खरीदी जाए। 1,100 रुपये में इतनी चीजें भला कैसे खरीदी जा सकती हैं। किसी ने कहा कि घर में समस्याएं थीं, इस वजह से बताई गई सामग्री नहीं खरीद पाए। ऐसे में जो धनराशि मिली उसका उपयोग दूसरे काम में कर लिया। ये बातें मुख्यमंत्री हेल्पलाइन से योजना का फीडबैक लेने पर सामने आईं हैं।
इस आधार पर कार्रवाई के लिए जिले को आवश्यक निर्देश दिए गये हैं। इसके तहत स्कूल खुलने पर अभिभावकों को जागरूक किया जाना है कि वे अनुदान का सदुपयोग करें। जिन अभिभावकों को अनुदान नहीं मिला, उसका भी कारण सीएम कार्यालय ने पूछा है। 16 जून के बाद अधिकारी छात्र-छात्राओं का सत्यापन करेंगे कि उन्होंने सामग्री ली है या नहीं। इसकी पड़ताल में सबसे ज्यादा जोर यूनिफार्म पर है। इसके बाद स्कूल बैग और फिर स्वेटर के साथ ही जूते-मोजे की पड़ताल होगी।
सीएम कार्यालय से 1,752 अभिभावकों को कॉल करके बात की गई। इसमें 1,130 अभिभावकों ने बैंक खाते में धनराशि आने की जानकारी दी। बैंक खाता चेक करने के बारे में 622 लोगों से सवाल पूछ गये। इस पर 195 ने बताया कि खाता चेक किया है। जबकि 427 ने आज तक बैंक खाता ही नहीं चेक किया। 887 अभिभावकों ने सामग्री खरीदने की जानकारी दी और 243 ने सामग्री नहीं खरीद पाने की बात कही। वहीं, पांच लोगों ने कहा कि वह पुरानी सामग्री का ही प्रयोग कर रहे हैं। इसी तरह 23 लोगों ने बताया कि जो धनराशि मिली वो कम है, ऐसे में पूरी सामग्री नहीं मिल सकी। छह लोगों ने कहा कि धनराशि का प्रयोग किसी अन्य कार्य में कर लिया है। तीन लोगों ने सामग्री की उपलब्धता न होने की जानकारी दी। साथ ही 206 लोगों ने अन्य कारण बताए।
परिषदीय स्कूलों के छात्र-छात्राओं को नए सत्र में भी सामग्री क्रय करने के लिए अनुदान मिलना है। इसके लिए पूर्व में मिले अनुदान के सदुपयोग का सत्यापन किया जा रहा है। जिससे नए सत्र में अनुदान देने की कार्रवाई हो सके। बताया जा रहा है कि 1,100 रुपये का अनुदान पूरी सामग्री के लिए दिया जा रहा है। जो अभिभावक कम बता रहे हैं, उनका कहना है कि यदि पूरी सामग्री ली जाए तो तीन हजार से अधिक की धनराशि खर्च होगी।
बीएसए डॉ. अखिलेश प्रताप सिंह ने बताया कि परिषदीय स्कूलों के छात्र-छात्राओं को दिए गये अनुदान का सत्यापन होगा। लोगों से अपील की गई है कि वह बच्चों के लिए निर्धारित सामग्री क्रय कर लें। जिससे नए सत्र में भी उन्हें अनुदान दिया जा सके।
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