PRIMARY KA MASTER : शैक्षिक सपोर्ट की बजाय स्कूलों में जाकर रौब झाड़ रहे एआरपी
जिले के बेसिक शिक्षा विभाग के स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए प्रत्येक विकास खंड में चार-चार विषय विशेषज्ञ शिक्षकों की नियुक्ति सहायक रिसोर्स पर्सन (एआरपी) के पद पर की गई है, ताकि वह स्कूलों में जाकर शैक्षिक सपोर्ट दे सकें, लेकिन यहां पर कुछ एआरपी तो शैक्षिक सपोर्ट देने के बजाय स्कूलों में जाकर शिक्षकों पर अधिकारियों जैसा रौब झाड़ रहे हैं।
इसकी शिकायतें बेसिक शिक्षा अधिकारी (बीएसए) तक भी पहुंची हैं। इसके मद्देनजर अब बीएसए एआरपी के भ्रमण के लिए कैलेंडर तैयार करा रही हैं। बीएसए शाहीन ने बताया कि विभाग के करीब 1,200 प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और संविलियन विद्यालय हैं।
इन स्कूलों में शैक्षिक सपोर्ट के लिए एआरपी नियुक्त किए गए हैं, ताकि वह पहले से सूचना देकर संबंधित स्कूल में जाकर शिक्षकों को शिक्षण कार्य से संबंधित टिप्स दे सकें, लेकिन उन्हें शिकायत मिली है कि एआरपी स्कूलों में बिना सूचना के पहुंच रहे हैं। शिक्षण कार्य में सहयोग करने की जगह वह प्रशासनिक गतिविधि का हिस्सा बन रहे हैं, जो कि गलत है।
उनका काम प्रतिदिन दो स्कूलों में जाकर शिक्षा के स्तर को ऊपर उठाने के लिए प्रयास करना है। प्रत्येक एआरपी यदि सूचना देकर स्कूल में जाएंगे तो विद्यालय प्रबंध समिति के सदस्यों को भी बुलाया जा सकेगा। स्कूल में अभिभावक रहेंगे तो उनसे उनके बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की गुणवत्ता के बारे में पता चलेगा।
बिना सूचना दिए पहुंचने पर अभिभावकों से कोई बात नहीं हो पाती है। आरोप है कि कुछ एआरपी तो स्कूलों में जाकर शिक्षकों के साथ ऐसा व्यवहार कर रहे हैं जैसे उनके अधिकारी ये ही हैं। इसकी शिकायत कई शिक्षकों व शिक्षक संघों के माध्यम से बीएसए तक पहुंच रही हैं।
- एआरपी की नियुक्त का उद्देश्य है कि वह परिषदीय स्कूलों में शिक्षा का स्तर सुधरे। अध्यापक जिम्मेदारी से बच्चों को पढ़ाएं, लेकिन शिकयत मिल रही हैं कि कुछ एआरपी इसके विपरीत कार्य कर रहे हैं। अगर ऐसा हो रहा है तो यह गलत है। इसमें सुधार के लिए एआरपी के भ्रमण के संबंध में कैलेंडर बनाया जाएगा, ताकि इस प्रकार की शिकायतें सामने न आएं। - शाहीन, जिला बेसिक शिक्षा अधिकारी हाथरस
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