जीवन प्रमाणपत्र के लिए डिजिटल तकनीक के इस्तेमाल पर जोर, पेंशनरों की समस्या को देखते हुए वित्त विभाग ने जारी किया शासनादेश
लखनऊ : पेंशन / पारिवारिक पेंशन जारी रखने के लिए पेंशनर को यदि कोषागार में जीवन प्रमाणपत्र जमा करने में कठिनाई आ रही है तो वे इसके निदान के लिए डिजिटल माध्यमों का भी सहारा ले सकते हैं। जीवन प्रमाणपत्र को कोषागार में जमा करने की व्यवस्था में आ रहीं कठिनाइयों को देखते हुए शासन ने इस समस्या के निदान के लिए सभी जिलाधिकारियों
और मुख्य / वरिष्ठ कोषाधिकारियों को कई अन्य विकल्पों को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक कार्यवाही करने का निर्देश दिया है। वित्त विभाग की और से इस बारे में मंगलवार को जारी किए गए शासनादेश में कहा गया है कि राज्य सरकार के पेंशनर पारिवारिक पेंशनर केंद्र सरकार के जीवन प्रमाण पोर्टल का प्रयोग कर अपना जीवन प्रमाणपत्र डिजिटल रूप में कोषागार को भेज सकते हैं। वे पोर्टल पर उपलब्ध जीवन प्रमाण एप को अपने स्मार्टफोन पर डाउनलोड कर इसके माध्यम से भी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जेनरेट कर कोषागार को आनलाइन भेज सकते हैं। बैंक पोस्ट आफिस/ जन सुविधा केंद्रों के माध्यम से भी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र कोषागार को भेजा
जा सकता है। केंद्र सरकार के इलेक्ट्रानिक्स व सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय की और से विकसित। उमंग पोर्टल और मोबाइल एप के माध्यम से भी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र जेनरेट किए जा सकते हैं। बैंकों व पोस्ट आफिस की डोर स्टेप सर्विस के माध्यम से भी डिजिटल जीवन प्रमाणपत्र कोषागार में प्रस्तुत किया जा सकता है। विदेश में रह रहे उप्र सरकार के पेंशनर के विधिवत अधिकृत एजेंट यदि मजिस्ट्रेट या नोटरी द्वारा या भारत के राजनयिक प्रतिनिधि के अधिकृत भारतीय बैंक के अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित जीवन प्रमाणपत्र प्रस्तुत करते हैं। तो पेंशनरों की उपस्थिति अनिवार्य नहीं है.
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