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माध्यमिक शिक्षा परिषद के फरमान से अभिभावकों की मुश्किलें बढ़ीं


✍️सबकी राय अगले सत्र से लागू हो यह निर्देश
✍️माध्यमिक शिक्षा परिषद द्वारा कक्षा नौ से इंटरमीडिएट तक सिर्फ तीन प्रकाशन की पुस्तकों से पढ़ाई कराए जाने का मामला
लखीमपुर खीरी। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कक्षा नौ से इंटरमीडिएट तक सिर्फ तीन प्रकाशन की पुस्तकों से ही पढ़ाई कराने के निर्देश दिए हैं। इससे स्कूल प्रबंधन और अभिभावकों की चिंता बढ़ गई है। उनका कहना है शैक्षिक सत्र शुरू हुए तीन माह बीत चुके हैं। अगले माह तिमाही परीक्षा होनी है। बीच सत्र में प्रकाशन निर्धारित करने का निर्णय गलत है। स्कूल प्रबंधन का कहना है कि महंगाई के दौर में अभिभावकों से दोबारा निर्धारित प्रकाशन की किताबें खरीदने के लिए कहना भी सही नहीं है।


माध्यमिक शिक्षा परिषद ने कक्षा नौ से लेकर इंटरमीडिएट कक्षाओं में सिर्फ तीन प्रकाशन की पुस्तकों से ही पढ़ाई कराने के निर्देश दिए हैं। परिषद ने इसके लिए आगरा के श्रीकैलाजी बुक्स सहित झांसी के पीतांबरा एवं डायनामिक टेक्सट बुक्स का नामित किया है, जिनकी किताबें बेहद सस्ती हैं। किताबें भले ही सस्ती हों, लेकिन शैक्षिक सत्र बीतने के तीन माह बाद निर्देश जारी करने से स्कूल प्रबंधन से लेकर अभिभावकों तक की चिंता बढ़ गई है। निजी स्कूल के प्रबंधक और प्रधानाचार्यों का कहना है कि अभिभावक अप्रैल में ही कोर्स खरीद चुके हैं। इसलिए अब इन प्रकाशन की किताबें खरीदवाने से उन पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, जो उचित नहीं है।

अभिभावकों का कहना है कि माध्यमिक शिक्षा परिषद ने स्कूल प्रबंधन की मनमानी रोकने के लिए जो निष्कर्ष निकाला है वह बेहद उचित है, लेकिन समय गलत है। क्योंकि अभिभावक कोर्स खरीद चुके हैं। इसलिए अब यह नियम अगले सत्र से लागू होना चाहिए।

अन्य की अपेक्षा बेहद सस्ती हैं निर्धारित प्रकाशन की पुस्तकें

मंडलीय विज्ञान प्रगति अधिकारी डॉ. दिनेश कुमार जायसवाल ने बताया कि माध्यमिक शिक्षा परिषद की ओर से निर्धारित प्रकाशन की पुस्तकें बेहद सस्ती हैं। कक्षा नौ में सबसे महंगी गणित की पुस्तक 79 रुपये की है। वहीं हाईस्कूल की विज्ञान की किताब 83 रुपये की है। इसी तरह कक्षा 11 में सबसे महंगी गणित की किताब 89 रुपये की और इंटरमीडिएट की गणित प्रथम एवं द्वितीय पुस्तक का मूल्य 83-83 रुपये है। इन प्रकाशन की सबसे सस्ती किताब 11 रुपये की हैं, जबकि अन्य प्रकाशन की किताबों का मूल्य इनसे कई गुना अधिक है।

यूपी बोर्ड ने जो प्रकाशन निर्धारित किए हैं उनकी किताबें बेहद सस्ती हैं। शैक्षिक सत्र अप्रैल में शुरू होने से अभिभावक कोर्स खरीद चुके हैं। अगले माह तिमाही परीक्षा भी होगी। ऐसे में अब उनसे दोबारा किताबें खरीदने के लिए कहना उचित नहीं होगा।

शैलेंद्र श्रीवास्तव, प्रधानाचार्य, सरस्वती विद्या मंदिर इंटर कॉलेज, खमरिया

शैक्षिक सत्र शुरू हुए तीन माह हो गए हैं। अब यह निर्देश जारी करना गलत है। इससे अभिभावकों पर आर्थिक बोझ बढ़ेगा। वैसे बोर्ड को अपना सिलेबस देकर किताबों की मोटाई, कागज की गुणवत्ता व मूल्य निर्धारित कर देना चाहिए। फिर चाहें जो प्रकाशन छापे।

विशाल सेठ, प्रबंधक सिटी मांटेसरी इंटर कॉलेज

इसकी बाध्यता अगले साल नवीन सत्र में होनी चाहिए, क्योंकि शैक्षिक सत्र शुरू होने के तीन माह बाद इस तरह का आदेश जारी करना अभिभावक हित में नहीं है। निर्धारित प्रकाशन की किताबें बेशक सस्ती हैं, लेकिन इन्हें खरीदने में भी पैसा तो देना ही होगा।

हरगोपाल श्रीवास्तव, अभिभावक

जिन अभिभावकों को अपने बच्चों का कोर्स लेना था। उन्होंने अप्रैल में ही खरीद लिया था। एकाएक प्रकाशन बदलने से अभिभावकों को महंगाई के इस दौर में फिर से किताबें खरीदने के लिए मजबूर करना सही नहीं होगा।

अवध किशोर, अभिभावक


शासन की ओर से जो निर्देश दिए गए हैं, उनका पालन कराया जाएगा। माध्यमिक शिक्षा परिषद ने हाईस्कूल और इंटरमीडिएट के लिए जिन तीन प्रकाशन की पुस्तकें से पढ़ाई कराने के निर्देश दिए हैं, उनका मूल्य अन्य प्रकाशनों की अपेक्षा बहुत ही कम है। इससे अभिभावकों को काफी सहूलियत मिलेगी।

विपिन मिश्रा, प्रभारी डीआईओएस एवं प्रधानाचार्य जीआई

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