शिक्षक दिवस 2022 के मौके पर राष्ट्रपति से सम्मानित होगा यूपी का यह लाल, कड़े संघर्षों के बीच कुछ ऐसा रहा खुर्शीद का सफर
शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश से एकमात्र शिक्षक खुर्शीद अहमद को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। शिक्षक दिवस (पांच सितंबर) पर राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मु उन्हें सम्मानित करेंगी। यह पुरस्कार विज्ञान शिक्षा में नवाचार के लिए दिया जाएगा। इसकी सूचना मिलते ही शिक्षकों में भी खुशी की लहर दौड़ गई।
कई दुश्वारियां झेलकर मिली पहचान
शिक्षा विभाग में शिक्षा मित्र की नौकरी से शुरूआत करने वाले देवरिया जिले के देसही देवरिया विकासखंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय सहवा में तैनात सहायक अध्यापक खुर्शीद अहमद को समाज की तरफ से कई तरह की दुश्वारियों को झेलना पड़ा। लेकिन उन्होंने कोई परवाह नहीं की। मन में सिर्फ आदर्श शिक्षक बनने की तमन्ना थी।
MSC की पढ़ाई के बाद बेरोजगार थे खुर्शीद
सोनाड़ी गांव के रहने वाले 36 वर्षीय खुर्शीद कहते हैं कि एमएससी की पढ़ाई कर बेरोजगार था। बगल के गांव धनौती में शिक्षा मित्र की नौकरी करने गया तो कई तरह के सामाजिक तानों का सामना करना पड़ा। चार साल तक शिक्षा मित्र की नौकरी की। उसके बाद वर्ष 2010 में बीटीसी की प्रवेश परीक्षा में भाग लिया और सफल हुए। 2013 में सहायक अध्यापक के रूप में प्राथमिक विद्यालय कौलाचक पथरदेवा में हुई। उसके बाद 2015 में गणित-विज्ञान विषय की सीधी भर्ती चयन द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में तीसरी तैनाती पूर्व माध्यमिक विद्यालय विद्यालय मथुरा छापर तरकुलवा में हुई। तीन वर्ष तक नौकरी करने के बाद 2018 में उच्च प्राथमिक विद्यालय सहवा में तैनाती हुई।
विज्ञान शिक्षा में नवाचार ने खुर्शीद को दिलाई राष्ट्रीय फलक पर पहचान
देवरिया: शिक्षक दिवस के अवसर पर उत्तर प्रदेश से एकमात्र शिक्षक खुर्शीद अहमद को राष्ट्रीय शिक्षक पुरस्कार के लिए चयनित किया गया है। यह पुरस्कार विज्ञान शिक्षा में नवाचार के लिए दिया जाएगा। शिक्षा विभाग में शिक्षा मित्र की नौकरी से शुरुआत करने वाले देवरिया जिले के देसही देवरिया विकास खंड के उच्च प्राथमिक विद्यालय सहवा में तैनात सहायक अध्यापक खुर्शीद अहमद को समाज की तरफ से कई तरह की दुश्वारियों को झेलना पड़ा, लेकिन उन्होंने कोई परवाह नहीं की। मन में सिर्फ आदर्श शिक्षक बनने की तमन्ना थी। सोनाड़ी गांव के रहने वाले 36 वर्षीय खुर्शीद कहते हैं कि एमएससी की पढ़ाई कर बेरोजगार था। बगल के गांव धनौती में शिक्षा मित्र की नौकरी करने गया तो कई तरह के सामाजिक तानों का सामना करना पड़ा। चार साल तक शिक्षा मित्र की नौकरी की। उसके बाद वर्ष 2010 में बीटीसी की प्रवेश परीक्षा में भाग लिया और सफल हुए। 2013 में सहायक अध्यापक के रूप में प्राथमिक विद्यालय कौलाचक पथरदेवा में हुई। उसके बाद 2015 में गणित-विज्ञान विषय की सीधी भर्ती चयन द्वारा बेसिक शिक्षा विभाग में तीसरी तैनाती पूर्व माध्यमिक विद्यालय विद्यालय मथुरा छापर तरकुलवा में हुई। तीन वर्ष तक नौकरी करने के बाद 2018 में उच्च प्राथमिक विद्यालय सहवा में तैनाती हुई। बच्चों को विज्ञान की शिक्षा को नए तरीके से पढ़ाने का विचार आया। फिर टीचर्स लर्निंग मटेरियल का उपयोग कर विज्ञान के विभिन्न माडलों को बच्चों के बीच रख कर विज्ञान विषय को रूचिकर बनाया, जिसका नतीजा यह रहा कि स्कूल के कई बच्चे को प्रदेश स्तर पर पुरस्कार मिला। कहा कि स्कूल को विज्ञान माडल का लैब बनाने में हमें हर वर्ष अपने वेतन से करीब 20 हजार रुपये खर्च करना पड़ता है। इससे सैकड़ों बच्चे प्रदेश स्तर पर विज्ञान माडल बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। कहा कि कक्षा में मेरे सामने चटाई पर बैठे बच्चों में ईश्वर का वास दिखता है। इसलिए उनको मूर्त रूप देने के लिए पूरी ताकत लगाता हूं। गांव के परिवेश में रहकर लगन पूर्वक किया गया परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता। स्कूल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की हमारी सोच शुरू से रही है। खुर्शीद बताते हैं कि परिवार में पिता ईद मोहम्मद के अलावा पत्नी फातिमा व तीन बेटियां अनिशा, आलिया, आफिया व दो बड़े भाई चांद अली व मजीद अंसारी हैं। संयुक्त परिवार है। पिता किसान हैं, उनका भी सपना आदर्श शिक्षक बनाने का था, वह पूरा हुआ। परिवार खुश है।
ऐसे आया विज्ञान को रूचिकर बनाने का ख्याल
उसके बाद मेरे मन में बच्चों को विज्ञान की शिक्षा को नए तरीके से पढ़ाने का विचार आया। फिर टीचर्स लर्निंग मटेरियल का उपयोग कर विज्ञान के विभिन्न माडलों को बच्चों के बीच रख कर विज्ञान विषय को रूचिकर बनाया। जिसका नतीजा यह रहा कि स्कूल के कई बच्चे को प्रदेश स्तर पर पुरस्कार मिला।
हर साल 20 हजार रुपये अपने वेतन से करते हैं खर्च
कहा कि स्कूल को विज्ञान मॉडल का लैब बनाने में हमें हर वर्ष अपने वेतन से करीब 20 हजार रुपये खर्च करना पड़ता है। इससे सैकड़ों बच्चे प्रदेश स्तर पर विज्ञान माडल बनाकर आगे बढ़ रहे हैं। कहा कि कक्षा में मेरे सामने चटाई पर बैठे बच्चों में ईश्वर का वास दिखता है। इसलिए उनको मूर्त रूप देने के लिए पूरी ताकत लगाता हूं। गांव के परिवेश में रहकर लगन पूर्वक किया गया परिश्रम कभी बेकार नहीं जाता। स्कूल को राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाने की हमारी सोच शुरू से रही है। खुर्शीद बताते हैं कि परिवार में पिता ईद मोहम्मद के अलावा पत्नी फातिमा व तीन बेटियां अनिशा, आलिया, आफिया व दो बड़े भाई चांद अली व मजीद अंसारी हैं। संयुक्त परिवार है। पिता किसान हैं, उनका भी सपना आदर्श शिक्षक बनाने का था। वह पूरा हुआ। परिवार खुश है।
ऐसा रहा खुर्शीद का सफर
खुर्शीद 2006 से 2010 तक बतौर शिक्षामित्र प्राथमिक विद्यालय धनौती में तैनात रहे। इस दौरान उन्होंने अध्यापन में अपनी एक अलग छाप छोड़ी। 2010 में उनका बीटीसी में चयन हो गया। बीटीसी करने के बाद बतौर सहायक अध्यापक प्राथमिक विद्यालय कौलाचक में नियुक्त हो गए। वहां 2015 तक रहे। वर्ष 2015 में विज्ञान-गणित की सीधी भर्ती में उनका चयन पूर्व माध्यमिक विद्यालय मथुरा छापर में हो गया। 2018 तक उन्होंने इस विद्यालय में अध्यापन कार्य किया। वहां से उनका स्थानांतरण कंपोजिट विद्यालय सहवा के लिए हो गया। खुर्शीद 2019 में उत्तर प्रदेश राज्य अध्यापक पुरस्कार से भी सम्मानित हो चुके हैं।
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