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लापरवाही : सेवानिवृत्ति के चार महीने बाद भी पेंशन-जीपीएफ नहीं



सेवानिवृत्ति के चार महीने बाद भी पेंशन-जीपीएफ नहीं● परिषदीय स्कूलों के 389 शिक्षकों को नहीं मिला लाभ

● वित्त नियंत्रक ने 34 जिलों के अफसरों से मांगी रिपोर्ट

● 31 मार्च को सेवानिवृत्त शिक्षकों का मामला

पीलीभीत-आगरा में

सर्वाधिक मामले लंबित

प्रयागराज। सेवानिवृत्ति के बाद देयकों के भुगतान में सबसे खराब रिपोर्ट पीलीभीत और आगरा की है। पीलीभीत में 49 शिक्षकों-कर्मचारियों के जीपीएफ का भुगतान अब तक नहीं हो सका है तो वहीं आगरा में पेंशन के 20 और जीपीएफ के 18 प्रकरण लंबित हैं। ललितपुर में पेंशन, जीपीएफ व बीमा के क्रमश: तीन, दो व 30 मामले, देवरिया में जीपीएफ के 25 तो प्रतापगढ़ में पेंशन, जीपीएफ व बीमा के क्रमश: तीन, एक व 17 मामलों का निस्तारण नहीं हो सका है। प्रयागराज में जीपीएफ का एक और बीमा के छह मामले लंबित हैं।

प्रयागराज, बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों से 31 मार्च को सेवानिवृत्त हुए 389 शिक्षकों और शिक्षणेत्तर कर्मचारियों को देयकों का भुगतान चार महीने बाद भी नहीं हो सका। पेंशन, जीपीएफ और बीमा प्रकरणों का निस्तारण न होने पर वित्त नियंत्रक ने 27 जुलाई को पत्र लिखकर 34 जिलों के वित्त एवं लेखाधिकारियों से रिपोर्ट तलब की है। इन जिलों में 389 प्रकरण लंबित हैं।

नियमानुसार सेवानिवृत्ति के साथ ही संबंधित शिक्षक और कर्मचारी को सभी देयकों का भुगतान हो जाना चाहिए। यही कारण है कि सेवानिवृत्ति से चार महीने पहले ही फाइल चलने लगती है। लेकिन परिषद मुख्यालय में 14 व 15 जुलाई को समीक्षा बैठक में 34 जिलों में 389 प्रकरण लंबित होने की सूचना मिली है। प्रकरणों के 100 प्रतिशत निस्तारण की रिपोर्ट शासन को भेजी जानी है।

कई जिलों में लंबित भुगतान के मामले : बरेली में बेसिक शिक्षा विभाग से 57 शिक्षक रिटायर हुए थे। इनमें सिर्फ एक शिक्षक का पेंशन प्रपत्र तकनीकी कारणों से रुका हुआ है। पीलीभीत में 49 शिक्षक शिक्षिकाएं सेवानिवृत्त हुए थे। इनमें से केवल छह के कागजात प्रक्रियाधीन हैं। वहीं खीरी जिले में सेवानिवृत्त 53 शिक्षकों में से केवल दो की पेंशन अब तक शुरू नहीं हो सकी है

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