प्रदेश के आठ प्रतिशत बच्चों को नहीं मिलीं मुफ्त किताबें, उठाया मामला
लखनऊ, Education In UP बेसिक शिक्षा परिषद के विद्यालयों में 13 प्रकाशकों को किताबों की आपूर्ति का जिम्मा मिला था लेकिन प्राथमिक व उच्च प्राथमिक विद्यालयों में आधा शैक्षिक सत्र बीतने के बाद भी किताबों की आपूर्ति नहीं की गई।
विधान परिषद में शुक्रवार को शिक्षक दल ने मुफ्त किताबें न बंटने का मामला उठाया।शिक्षक दल के सुरेश कुमार त्रिपाठी एवं ध्रुव कुमार त्रिपाठी ने कहा कि आधा सत्र बीत चुका है लेकिन प्रदेश के परिषदीय विद्यालयों के साथ-साथ सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालयों तथा सहायता प्राप्त पूर्व माध्यमिक विद्यालयों के छात्र-छात्राओं को मुफ्त पुस्तकें अभी तक नहीं मिल पाईं हैं। जब किताबें ही उपलब्ध नहीं होंगी तो गरीबों के बच्चे कैसे पढ़ेंगे।
सरकार ने कहा कि 92 प्रतिशत किताबों का वितरण हो चुका है अब केवल आठ प्रतिशत बच्चे रह गए हैं। इन्हें भी 10 से 15 दिनों में किताबें मिल जाएंगी। सुरेश त्रिपाठी ने कहा कि एक अप्रैल से शैक्षिक सत्र शुरू हो चुका है और अब सितंबर का महीना भी बीतने वाला है, लेकिन बच्चों को किताबें आज तक नहीं मिलीं। बाजार में भी किताबें उपलब्ध नहीं हैं, यदि होतीं तो गरीब मां-बाप अपना पेट काटकर बच्चों के लिए खरीद लेते।
बगैर किताबों के बच्चों को जो पढ़ाया जा रहा है उसमें क्या समझ में आया होगा। किन परिस्थितियों में अभी तक किताबें नहीं पहुंची सरकार को इसकी जांच करानी चाहिए। यह करोड़ों गरीब परिवारों के बच्चों से जुड़ा मामला है। इसमें जो भी दोषी अधिकारी हैं उनके खिलाफ सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। बेसिक शिक्षा मंत्री संदीप सिंह ने कहा कि अब स्कूलों के पठन पाठन में पहले से बहुत बदलाव आ गया है। अब किताबों के अलावा स्मार्ट क्लास व दीक्षा एप के जरिए स्कूलों में पढ़ाई हो रही है।
इसके अलावा जब बच्चे पास होकर नई कक्षा में प्रवेश करते हैं तो उनकी पुरानी किताबें भी स्कूल में रखवा ली जाती हैं। इन पुरानी किताबों से भी पढ़ाई हो रही है। उन्होंने बताया कि किताबों के टेंडर होने में विलंब इसलिए हुआ क्योंकि उस समय विधानसभा चुनाव थे। सरकार किताबों का वितरण जल्द कराने के लिए प्रयास कर रही है। अब तक 92 प्रतिशत किताबें बंट चुकी हैं, शेष बच्चों को 10 से 15 दिनों में किताबें मिल जाएंगी। अधिष्ठाता जयपाल सिंह व्यस्त ने कार्यस्थगन अस्वीकार कर दिया।
मुख्यमंत्री शिक्षक पुरस्कार विजेताओं के साथ भेदभाव का आरोप
निर्दलीय समूह के राजबहादुर सिंह चन्देल एवं डा. आकाश अग्रवाल ने मुख्यमंत्री शिक्षक पुरस्कार विजेताओं के साथ भेदभाव का मामला उठाया। उन्होंने कहा कि वित्तविहीन विद्यालयों के शिक्षकों में उत्कृष्ठ सेवा के लिए मुख्यमंत्री शिक्षक पुरस्कार मिलता है। वहीं, सहायता प्राप्त विद्यालयों के शिक्षकों को राज्य शिक्षक पुरस्कार मिलता है।
राज्य शिक्षक पुरस्कार विजेताओं को 62 वर्ष के बाद 65 वर्ष तक की उम्र यानी तीन वर्ष का सेवा विस्तार मिलता है, बसों में मुफ्त यात्रा व चिकित्सीय सुविधा मिलती है। यह सारी सुविधाएं वित्त विहीन शिक्षकों को नहीं मिलती हैं। सरकार भेदभाव कर रही है। नेता सदन केशव प्रसाद मौर्य ने कहा कि सरकार इस मामले को दिखवा लेगी। अधिष्ठाता जयपाल सिंह व्यस्त ने कार्यस्थगन अस्वीकार कर दिया।
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