प्राइवेट डीएलएड प्रशिक्षण संस्थान अपने अब तक के सबसे खराब दौर में, एडमिशन के पड़े लाले, डायट तक में सीटें रह गईं खाली
प्रयागराज : प्रशिक्षित स्नातक शिक्षक भर्ती ( टीजीटी) के साथ बीएड प्रशिक्षितों को प्राथमिक शिक्षक भर्ती में भी अवसर दिए जाने के बाद से डिप्लोमा इन एलीमेंट्री एजूकेशन (डीएलएड) प्रशिक्षण संस्थान अपने अब तक के सबसे खराब दौर में हैं।
वर्ष 2022 सत्र के लिए प्रवेश की स्थिति यह है कि प्रदेश के 582 निजी डीएलएड प्रशिक्षण संस्थानों में किसी भी छात्र – छात्रा ने प्रवेश नहीं लिया। जिला शिक्षा एवं प्रशिक्षण संस्थानों (डायट) में जहां पहले चरण में ही सीटें फुल हो जाती थीं, वहां मेरिट के आधार पर दूसरे चरण की प्रक्रिया पूर्ण हो जाने के बाद भी 1765 सीटें खाली हैं। अब सीधे प्रवेश लिए जाने का अवसर मिलने पर अभ्यर्थी मिलने की उम्मीद है।
प्राथमिक शिक्षक भर्ती में 2018 से बीएड प्रशिक्षितों को भी शामिल होने का अवसर दिया गया। इस तरह बीएड प्रशिक्षित अभ्यर्थी टीजीटी और प्राथमिक शिक्षक भर्ती दोनों में आवेदन कर सकते हैं, जबकि डीएलएड प्रशिक्षित सिर्फ प्राथमिक शिक्षक भर्ती में आवेदन कर सकते हैं। इस कारण छात्र – छात्राओं का रुझान डीएलएड प्रशिक्षण की ओर से घट गया।
इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उत्तर प्रदेश परीक्षा नियामक प्राधिकारी (पीएनपी) सचिव अनिल भूषण चतुर्वेदी ने सत्र 2022 के लिए आनलाइन आवेदन आमंत्रित किए। तिथि बढ़ाए जाने के बाद प्रदेश के 30,086 निजी कालेजों और 66 डायट व वाराणसी के एक सीटी कालेज की कुल 2,27, 126 सीटों के सापेक्ष 1,70,704 आवेदन आए । दो चरण में मेरिट के आधार पर अभ्यर्थियों को कालेज आवंटित किए गए। कुल 45,153 अभ्यर्थियों को कालेज एलाटमेंट हुआ, लेकिन कुछ अभ्यर्थियों ने कालेज एलाटमेंट के बावजूद प्रवेश नहीं लिए।
इसके पूर्व 26 निजी प्रशिक्षण संस्थान मान्यता वापस लिए जाने के अनुरोध के साथ नया प्रवेश न लेने को पत्र भेज चुके हैं। पीएनपी सचिव ने बताया कि दो चरण में प्रवेश की प्रक्रिया के बाद प्रदेश भर के निजी संस्थानों व डायट में 1,80,208 सीटें रिक्त हैं, जिसमें डायट की 1765 सीटें शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि प्रवेश लेने वाले अभ्यर्थियों की चिंताजनक संख्या को देखते हुए प्रशिक्षण संस्थानों को सीधे प्रवेश लेने का अवसर देने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा जा रहा है। अनुमति मिलने पर प्रवेश लेने का कार्यक्रम जारी किया जाएगा। उनका मानना है कि सीधे प्रवेश का अवसर दिए जाने से अपने जनपद में सीट मिलने पर अभ्यर्थियों की संख्या निश्चित रूप से बढ़ेगी
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