'साहब के स्कूल': अधिकारी अपने गोद लिए स्कूलों को नहीं संभाल पा रहे, ब्लॉक कैसे संभालेंगे!
प्रयागराज: प्राथमिक विद्यालय केचुआ धोबियान बस्ती, करछना को खंड विकास अधिकारी करछना ने गोद लिया है। लेकिन बच्चों, अध्यापकों या आसपास के लोगों को ही नहीं पता कि यह गोद लिया हुआ स्कूल है। यहां शिक्षक भी यदाकदा ही आते हैं।
दैनिक जागरण के रिपोर्टर जब स्कूल पहुंचे तो मछहरपुरवा की शिक्षामित्र रोहिणी देवी पढ़ाती दिखीं, जबकि वह इस विद्यालय या स्थानीय गांव की नहीं थीं। बताया कि प्रधानाध्यापक परवेज अहमद खान अवकाश पर हैं। उन्होंने विद्यालय में आकर बच्चों को पढ़ाने के लिए निर्देशित किया था इसलिए आई हैं। एक अन्य शिक्षक गुंजन भारतीया भी यहां नियुक्त हैं लेकिन वह बीआरसी पर प्रशिक्षण के लिए गई हैं। यह भी जानकारी मिली कि विद्यालय में कुल 21 विद्यार्थी पंजीकृत हैं, इनमें से 14 उपस्थित हैं। कक्षा पांच में सिर्फ दो विद्यार्थियों का नामांकन हैं लेकिन उपस्थिति एक भी नहीं था।
कायाकल्प योजना का नहीं दिखा कोई प्रभाव
अब तक यहां बिजली कनेक्शन, सबमर्सिबल व मल्टिपल हैंडवाश यूनिट जैसी व्यवस्था नहीं उपलब्ध हो सकी है। किसी कक्षा में टाइल्स भी नहीं लगी। बारिश के दिनों में सभी कक्षों की छत टपकती है। रसोईघर की छत को कमरे के बीचोबीच बीम लगाकर जैसे तैसे दरकने से रोका गया है। विद्यालय की खासियत देखिए कि इस भवन को 2015 में बनवाया गया लेकिन अभी से ही यह जर्जर हो चुका है। यहां शौचालय तो है लेकिन उसमें पानी का प्रबंध नहीं है। इन अव्यवस्थाओं के बावजूद कक्षा एक के विद्यार्थी अंश, कक्षा दो के छात्र आदर्श, कक्षा तीन के आदित्य से जब पठन पाठन के संदर्भ में बात की गई तो वे बोले हम सब घर में पढ़ लेते हैं। सभी विद्यार्थियों ने अपनी पुस्तक का एक एक अध्याय पढ़कर भी सुनाया। लोगों के अनुसार दोनों शिक्षक यदाकदा आते हैं बच्चों की देखभाल की जिम्मेदारी शिक्षामिश्र ही निभा रही हैं।
वहीं खंड विकास करछना के अधिकारी देवकुमार की बात सुनकर तो आप हैरान ही रहा जाएंगे। उनका कहना है कि, एक बार विद्यालय का दौरा कर चुका हूं। हैंडपंप खराब है, जल्द ही उसे ठीक करा दिया जाएगा। स्कूल की चहारदीवारी बनवानी है। सभी कार्य नए साल में कराएंगे।
केचुआडीह करछना के स्कूल का भी यही हाल
प्राथमिक विद्यालय केचुआडीह, करछना सिटी मजिस्ट्रेट द्वितीय की गोद में है। यहां दो शिक्षक नियुक्त हैं जब कि मात्र 14 विद्यार्थी पंजीकृत हैं। खास यह कि उपस्थिति शतप्रतिशत मिली। कक्षा तीन में एक भी विद्यार्थी का पंजीयन नहीं है। प्रधानाध्यापक जितेंद्र कुमार पाल सभी बच्चों को एक साथ बैठाए दिखे। उन्होंने बताया कि दूसरे अध्यापक बीआरसी पर प्रशिक्षण में गए हैं। इस विद्यालय में भी अब तक बिजली कनेक्शन नहीं हो सका है। न तो कक्षाओं में टाइल्स लग पाई है। भवन जर्जर है, बारिश में सभी कक्ष की छत टपकती है। प्रधानाध्यापक के कक्ष की छत बैठ गई है। मल्टिपल हैंडवाश यूनिट, खेलकूद के सामान, पुस्तकालय, प्रयोगशाला जैसी चीजें तो अब तक किसी के विचार में ही नहीं हैं।
मामले में जब सिटी मजिस्ट्रेट सत्यप्रिय सिंह से बातचीत की गई तो उनका कहना है कि विद्यालय को गोद लेने की जानकारी नहीं थी। सूचना मिली है, जल्द ही दौरा कर वहां की व्यवस्थाओं को दुरुस्त कराया जाएगा। योजनाबद्ध तरीके से कार्य कर स्कूल को आदर्श बनाने का प्रयास होगा।
कहां तो तय था चिरागां हरेक घर के लिए, कहां चिराग मयस्सर नहीं शहर के लिए...। कवि दुष्यंत की यह पंक्तियां परिषदीय स्कूलों का हाल बयां करने के लिए सटीक बैठती हैं। जनपद में एक भी ‘साहब का स्कूल’ ऐसा नहीं मिला जिसे आदर्श कह सकें, या दूसरों के लिए उदाहरण बन सकें। वजह एक है, संसाधनों का रोना रोते हुए उदासीनता की चादर को अधिक से अधिक फैलाए रखना। तमाम परिषदीय स्कूलों में कक्षा एक से पांच तक के 50 विद्यार्थी भी नहीं हैं। ऐसे भी हैं जहां कक्षाओं में एक भी विद्यार्थी नहीं हैं। अहम यह है कि ये अफसरों के गोद लिए विद्यालय हैं। उन्होंने कभी भी परिसर में कदम तक नहीं रखा है।
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