यूपी में गले की फांस बनी नई पेंशन: शासन का नया फरमान, बगैर नई पेंशन के नहीं मिलेगा वेतन
प्रतापगढ़। पुरानी पेंशन की आस में नई पेंशन को ठुकराने वाले शिक्षकों और कर्मचारियों के लिए अब एनपीएस गले की हड्डी बन गई है। शासन का नया फरमान आया है कि जिन शिक्षकों और कर्मचारियों को नई पेंशन योजना के लिए प्रान आवंटित नहीं हुआ है, उन्हें अब वेतन नहीं मिलेगा। इससे शिक्षकों और कर्मचारियों में काफी रोष व्याप्त है।
जिले में एक अप्रैल 2005 के बाद नियुक्ति कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए नई पेंशन योजना लागू की गई है। पूर्व में इस योजना को ऐच्छिक करार दिया गया था। इससे अधिकांश शिक्षकों और कर्मचारियों ने नई पेंशन योजना को ठुकरा दिया था। अधिकांश कर्मचारियों को यह उम्मीद थी कि अन्य प्रांतों में पुरानी पेंशन बहाल हो गई है, जिले के भी कर्मचारी पुरानी पेंशन के लिए संघर्ष कर रहे हैं। उन्हें आशा है कि एक दिन सरकार अपने फैसले पर झुके गी और पुरानी पेंशन बहाल होगी।
जिले में 18,472 कर्मचारियों में 4042 शिक्षक, कर्मचारी ऐसे हैं, जिन्होंने अभी तक नई पेंशन को स्वीकार नहीं किया। मगर, अपर मुख्य सचिव प्रशांत त्रिवेदी ने 16 दिसंबर को जारी पत्र में स्पष्ट कहा है कि जिन शिक्षक और कर्मचारियों को नई पेंशन योजना के तहत प्रान आवंटित न किया गया हो, ऐसे लोगों को वेतन भुगतान न किया जाय। शासन के नए आदेश ने पुरानी पेंशन के लिए संघर्ष करने वाले शिक्षक व कर्मचारियों की परेशानी बढ़ गई है। वेतन रोकने का आदेश आने के बाद आक्रोशित शिक्षकों ने विरोध का स्वर तेज करने को कहा है।
जिले के सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के लिए शासन से नया पत्र आया है, जिसमें कहा गया है कि नई पेंशन के लिए रजिस्ट्रेशन नहीं कराने वालों को वेतन का भुगतान न किया जाय। रमेश सिंह, वित्त एवं लेखाधिकारी, बेसिक शिक्षा विभाग
नई पेंशन योजना को पूर्व में ही ऐच्छिक बताया गया था। विभागीय अफसरों के साथ ही विधानसभा में हुए सवाल के जवाब में बेसिक शिक्षा मंत्री ने नई पेंशन को शिक्षकों, कर्मचारियों की इच्छा पर छोड़ दिया था। नई पेंशन के लिए किसी पर दबाव नहीं बनाया जाएगा। इससे अधिकांश शिक्षकों और कर्मचारियों ने नई पेंशन को लेने से हाथ खड़ा कर दिया था। - विनय सिंह, जिला मंत्री, प्राथमिक शिक्षक संघ
नई पेंशन योजना शिक्षकों, कर्मचारियों को मंजूर नहीं है। यह शेयर बाजार पर आधारित योजना है, जिसमें लाभ मिलने की कोई उम्मीद नहीं है। इस योजना में वेतन को जो हिस्सा कटता है, वह पूरा भी नहीं मिलता है। हमारे कुछ साथी ऐसे हैं, जो दो साल बाद रिटायर हो रहे हैं, वह इस योजना का लाभ लेकर अपना नुकसान नहीं करना चाहते हैं। पुरानी पेंशन के लिए हमारा संघर्ष जारी रहेगा। डॉ. विनोद त्रिपाठी, संयोजक, अटेवा
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