मान्यता के बाद ही चलेंगे मदरसे
सालों से चल रहे मदरसों को लेकर अब सरकार सजग हो गयी है। अब तक पंजीकृत संस्था के माध्यम से मदरसों का संचालन किया जा रहा था। लेकिन, अब मदरसे भी मान्यता के बाद ही संचालित हो पाएंगे। अन्यथा की स्थिति में कार्रवाई भी हो सकती है।
शासन के आदेश के बाद जिले में मदरसों के सर्वे का काम पूरा हो गया है। इसके अनुसार, जिले में 34 मदरसे गैर मान्यता के संचालित हो रहे हैं। प्रशासन ने शासन को बिंदुवार इसकी रिपोर्ट भेज दी है। रिपोर्ट के आधार पर ही मदरसों को मान्यता दी जाएगी। इसके साथ ही सालों से संचालित हो रहे मदरसों को अब तक मान्यता क्यों नहीं दी गई, इसके लिए संबंधित विभाग से भी पूछताछ की जा सकती है।
किरावली में बड़ी मस्जिद में संचालित मदरसा लगभग 200 साल पुराना बताया जा रहा है। ये आसपास के लोगों द्वारा संचालित किया जाता है। इसमें 30 बच्चे हैं, एक शिक्षक है। दूसरा मदरसा किरावली में बन्ने बाबा, दंदारा घाटी नाम से संचालित है। यह लगभग 100 पुराना बताया जा रहा है। इसे इजाजुद्दीन संचालित करते हैं। इसमें 70 छात्र और दो शिक्षक हैं।
कानपुर में 137 पुरानी मदरसे की भी मान्यता नहीं
कानपुर। शासन की ओर से कराई जा रही जांच के दौरान कानपुर में ऐसा मदरसा सामने आया जो लगभग 137 साल पुराना है। अहम बात है कि इसकी मान्यता ही नहीं ली गई। मदरसा जामे उलूम, पटकापुर यूपी में देवबंद के बाद सबसे पुराना मदरसा है। अब इसके वजूद पर खतरा मंडरा रहा है। इस मदरसे की स्थापना 1885 में हाजी अब्दुल रहमान खान ने चार अन्य लोगों के सहयोग से की थी। ऐसे मदरसों की प्रदेश में संख्या 8449 और कानपुर नगर में 84 है।
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