अध्यापकों को नहीं ढोनी पड़ेंगी किताबें, अब इनकी होगी बच्चों की किताबें स्कूलों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी
लखनऊ। नए शैक्षिक सत्र में बच्चों को बंटने वाली पुस्तकें शिक्षा विभाग के अध्यापकों एवं कर्मचारियों को नहीं ढोनी पड़ेंगी। किताबें स्कूलों तक पहुंचाने की जिम्मेदारी मुद्रकों एवं प्रकाशकों की ही होगी। इसका खर्चा उनको दिए जाने वाले भुगतान के दायरे में ही शामिल करना होगा। इस बाबत समग्र शिक्षा के राज्य परियोजना निदेशक ने सभी बेसिक शिक्षा अधिकारियों को पत्र जारी किया है। इसमें कहा गया है कि अध्यापक या कर्मचारी पुस्तकें नहीं ढोएंगे। उन्होंने चेतावनी दी गई है कि यदि कहीं से यह शिकायत आई तो इस पर कार्रवाई की जाएगी।
राज्य परियोजना निदेशक विजय किरन आनंद ने कहा है कि अक्सर यह देखा गया है कि आपूर्ति होने के बाद विद्यालयों तक पुस्तकों की ढुलाई होने में काफी विलंब होता है। इससे छात्र-छात्राओं की पढ़ाई पर प्रतिकूल असर पड़ता है। यह ढुलाई विद्यालय स्तर पर ही कराई जाए। ढुलाई पर होने वाले व्यय का वहन पाठ्यपुस्तक वितरण मद में बची हुई धनराशि से किया जाएगा। ढुलाई के लिए सभी जिलों की लिमिट तय कर दी गई है और ढुलाई का पैसा इसी में समायोजित किया जाएगा। पूरे प्रदेश की लिमिट 6.27 करोड़ रुपये तय की गई है। ब्यूरो
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