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पुरानी पेंशन बहाली हेतु देश भर में संघर्ष कर रहे संगठनों के अध्यक्ष व महासचिवों की बैठक हुई सम्पन


*ले मशालें चल पड़े हैं लोग मेरे गांव के*।
*अब अंधेरा जीत लेंगे लोग मेरे गाँव के* ।

*मित्रों,*

07 जनवरी 2023 को कनाट पैलेस नई दिल्ली स्थित, जे पी चौबे मेमोरियल हॉल में पुरानी पेंशन बहाली हेतु देश भर में संघर्ष कर रहे संगठनों के अध्यक्ष व महासचिवों की बैठक सम्पन हुई ।06/07 जनवरी की रात्रि में दिल्ली का तापमान जम्मू से भी कम यानि 1.8 डिग्री सेल्सियस था, उसके बाद भी कश्मीर से लेकर तमिलनाडु तक लगभग सभी राज्यों से पुरानी पेंशन बहाली की मांग को लेकर लोग बैठक में शामिल हुए और एक जुट होकर संघर्ष करने का संकल्प लिया ।यह आपकी मेहनत का परिणाम है, इसके लिए आपको बधाई देता हूँ।
अब से कुछ दिन पहले तक सभी सेवा संगठनों के बीच में एक तरह की "अधिगत असहायता" उत्पन्न हो गई थी। संगठन अपनी मांगों को मनवाने के लिए सरकारों से पुराने तरीके से मांग कर रहे थे, परंतु उसका कोई भी परिणाम उन्हें प्राप्त नहीं हो सका . इस प्रकार संगठनों के अंदर एक तरह की "अधिगत असहायता" उत्पन्न हो गई थी। पुरानी पेंशन बहाली जैसी मांग जो कि सरकारी कर्मचारियों व शिक्षकों के लिए जीवन मरण का विषय है, के लिए संगठनों द्वारा जो भी संघर्ष के पुराने तरीके अपनाए गए, वह सब बिल्कुल बेअसर रहे। सरकारों के ऊपर धरना प्रदर्शन या किसी आंदोलन का कोई प्रभाव नहीं पड़ा।यहाँ तक कि मा. मुख्यमंत्री जी के आदेश पर मुख्य सचिव ने एक समिति भी गठित की जिसमें प्रदेश के लगभग 10 वरिष्ठ IAS व हमारे नेता डॉ दिनेश चंद्र शर्मा भी थे। परंतु राजनीतिक इच्छा शक्ति न होने के कारण सरकार ने कुछ नहीं किया ।सभी संगठन विषाद एवं कुंठा के शिकार हो गए। ऐसे में यह प्रश्न खड़ा हुआ की इस महत्वपूर्ण मांग की लड़ाई को कैसे लड़ा जाए?
ऐसी परिस्थिति में एक नई उम्मीद की किरण सामने आई. एक ऐसी विचारधारा सामने आई, जिसने सरकारों से लड़ाई लड़ने का एक नया तरीका ढूंढ निकाला। पुरानी पेंशन बहाली हेतु बनाए गए लगभग सभी संगठनों की अध्यक्षता कर रहे डॉ दिनेश चन्द्र शर्मा जी , ने अपनी मांग मनवाने का एक नया तरीका इजाद किया। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में अपने हितों के आधार पर मतदान किया जाना ही सबसे अच्छे लोकतंत्र की निशानी होती है। देश की जनता को यह अधिकार होता है कि वह अपने हितों के आधार पर किसी राजनैतिक पार्टी को वोट करें। हम सरकारी कर्मचारी एवं शिक्षक भी इसी देश के नागरिक हैँ और हमें भी अपने हितों के मुद्दे पर मतदान करने का अधिकार है.उन्होंने आगे कहा कि यही एक भय रहता है जिसके कारण संगठनों के धरना प्रदर्शन से सरकारेँ झुकती है और उनकी मांगों को स्वीकार करती हैं। परंतु वर्तमान की सरकारें शायद इस भय से ऊपर उठ गई है। इसलिए इस भय का प्रदर्शन धरातल पर करना आवश्यक हो गया है। इसी विचारधारा को आगे बढ़ाते हुए उन्होंने यह घोषणा की कि जो भी राजनैतिक दल हमारी मांगों के समर्थन में आवाज उठाएंगे और हमारी मांगों को अपने चुनावी घोषणा पत्र में शामिल करेंगे, हम शिक्षक/ कर्मचारी उसी राजनीतिक दल के पक्ष में अपना मतदान करेंगे। यह हमारा अधिकार है कि हम अपने हितों के लिए चुनाव में मतदान करें।
जब डॉ शर्मा ने यह कहा तो तमाम स्वार्थी संगठन व स्वयं भू नेताओं ने इस आह्वान को राजनीतिक बताया तथा आन्दोलन को विफल करने के लिए इन विभीषणों ने सब कुछ किया।परन्तु प्रदेश भर के कर्मचारी व शिक्षकों ने फर्जी संगठनों व फर्जी नेताओं की ओर न देखकर अपने हितों को देखा तथा लगभग 5 लाख शिक्षक व कर्मचारियों ने 30 नवंबर 21 को लखनऊ पहुंच कर अपने मुददों पर वोट करने का संकल्प लिया,लेकिन राजनीतिक दल फिर भी हमारी मांगों को लेकर गम्भीर नहीं थे ।माननीय अध्यक्ष जी भी अपने संकल्प से नहीं डिगे.वो सभी राजनीतिक दलों के पास गये और अपना मांग पत्र सौंपा ।
सरकार में बैठे दल ने तो उस समय भी स्पष्ट कर दिया था कि पुरानी पेंशन बहाल नहीं करेंगे और आज भी उनका स्पष्ट रुख है कि OPS नहीं देंगे।लेकिन कांग्रेस जो आज चीख-चीख कर OPS का समर्थन कर रही है,उसकी प्रदेश प्रभारी मा. प्रियंका गांधी जी से 28 अक्टूबर 2021 को अध्यक्ष जी के साथ 11 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल मिला और अध्यक्ष जी ने कहा कि आपका दल राष्ट्रीय दल है।आपके पास पंजाब, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में सरकार है। यदि आप प्रदेश के शिक्षक व कर्मचारियों का समर्थन चाहती हैं तो आप तीनों प्रदेश के मुख्यमंत्री को दिल्ली में बुलाकर प्रेस कांफ्रेंस करके तीनों राज्यों में पुरानी पेंशन बहाली की घोषणा करिये। लेकिन तब प्रियंका जी ने कहा कि नहीं यह तो IMFA के दबाब में बंद हुई है और वर्ल्ड बैंक ने इसे डेड फण्ड घोषित कर दिया है। इस प्रकार यूपी के चुनाव से पूर्व कांग्रेस भी गंभीर नहीं दिखी ।इसके बाद अध्यक्ष जी ने बसपा सुप्रीमो से मिलने का प्रयास किया लेकिन वार्ता न हो सकी।फिर सपा अध्यक्ष श्री अखिलेश यादव जी भेंट हुई और अध्यक्ष जी ने इसकी गम्भीरता को बताया साथ ही इसके वित्तीय प्रबंधन पर भी सुझाव दिये ,फलस्वरूप 2022 के विधानसभा चुनाव में सबसे पहले सपा ने OPS की बहाली को अपने मांग पत्र में रखा ।इसके बाद प्रदेश में शिक्षकों व कर्मचारियों की एकता को देखकर जब यूपी में तीन चरण का मतदान हो गया व पंजाब में भी चुनाव निपट गया तब कांग्रेस ने OPS बहाली की गम्भीरता को समझा।फिर बसपा ने भी इसे मांग पत्र में शामिल किया।
डॉक्टर दिनेश चंद्र शर्मा की उक्त विचारधारा आज बड़े सशक्त रूप से पूरे देश में गूंज रही है. लगभग सभी प्रदेशों के आम चुनाव में पुरानी पेंशन बहाली का मुद्दा एक प्रमुख मुद्दा बन गया है। सभी कर्मचारी एवं शिक्षक अपने इस मुद्दे पर मतदान भी करते हुए दिखाई पड़ रहे हैं. कई राज्य इसके उदाहरण बने हैं, जहां पुरानी पेंशन बहाली के मुद्दे ने सरकारें बदली हैं। आज इस बात की आवश्यकता हो गई है हम कर्मचारी/ शिक्षक अपनी मांगों को मनवाने के लिए अपने पुराने तौर-तरीकों को छोड़कर इसे तरह के राजनैतिक निर्णय के साथ चलें। वास्तव में डॉक्टर दिनेश चंद शर्मा जी द्वारा दिखाई गई यह नई राह हमें अपना अधिकार वापस दिला सकती हैं।
कल दिल्ली में संपन्न हुई बैठक में अध्यक्ष जी की दूरदर्शिता का प्रभाव दिखाई दे रहा था ।विभिन्न राज्यों से आये सभी संगठनों के नेताओं कि ज़ुबान पर बस एक ही बात थी कि पुरानी पेंशन तो वोट की चोट से ही बहाल हो सकती है ।
देर आये दुरुस्त आये वाली स्थिति देखकर संतोष हुआ ।2022 के चुनाव से पूर्व केवल एक राज्य था,पश्चिम बंगाल जहाँ पुरानी पेंशन मिलती थी लेकिन हमारे आंदोलन के बाद भले ही उत्तर प्रदेश में अभी कामयाबी न मिली हो लेकिन देश मे पश्चिम बंगाल के साथ अब राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड व पंजाब भी OPS वाले हो गये हैं।
इसलिए हमें विश्वास है कि अपने नेता आदरणीय डॉ दिनेश चंद्र शर्मा जी के नेतृत्व में निश्चित ही पुरानी पेंशन की बहाली होगी ।
*जय हिन्द।जय शिक्षक।*




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