शिक्षा क्षेत्र के लिए भी सरकार ने खोला खजाना,27280 करोड़ रुपये से संवारेंगे सूबे की शिक्षा
लखनऊ इस बजट में सरकार ने शिक्षा क्षेत्र के लिए कुल 27,280 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है। इसमें बेसिक, माध्यमिक और उच्च शिक्षा से लेकर प्राविधिक एवं व्यासायिक शिक्षा क्षेत्र भी शामिल है। इस बार के शिक्षा के कुल बजट का सबसे बड़ा हिस्सा समग्र शिक्षा अभियान पर खर्च किया जाएगा।सरकार ने बेसिक शिक्षा में 20,255 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है जबकि माध्यमिक में भी इस मद में 1003 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा बेसिक एवं माध्यमिक शिक्षा में पीएमश्री (प्रधानमंत्री स्कूल फॉर राइजिंग इण्डिया) नामक नई योजना के लिए 1010 करोड़ रुपये का प्रावधान है।शिक्षा के लिए आवंटित बजट का उल्लेख करते हुए वित्त मंत्री सुरेश खन्ना ने पढ़ते और बढ़ते यूपी के लिए शिक्षा पर विशेष जोर दिए जाने की बात कही और कहा कि ऑपरेशन कायाकल्प के तहत बेसिक शिक्षा परिषद द्वारा संचालित प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों में अवस्थापना सुविधाओं का विकास एवं उन्हें स्मार्ट विद्यालयों के रूप में विकसित करने के लिए पूरे 1000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसी प्रकार से ग्राम पंचायत एवं वार्ड स्तर पर डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना के लिए 300 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है। गरीबी रेखा के ऊपर के लगभग 28 लाख छात्र-छात्राओं को निःशुल्क यूनिफार्म के लिए 50 करोड़ रुपये एवं परिषदीय प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के कक्षा-एक से आठ तक अध्ययनरत लगभग दो करोड़ छात्र-छात्राओं के लिए मुफ्त स्वेटर और जूते और मोज़े के मद में 650 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई हैं जबकि कक्षा एक से आठ तक के छात्र-छात्राओं को निःशुल्क स्कूल बैग के लिए 350 करोड़ रुपये दिए जाएंगे।
गरीब-आदिवासी बच्चों की शिक्षा पर विशेष ध्यान
इस बार भी बजट में गरीब व आदिवासी बच्चों की शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दिया गया है। वनटांगिया गांवों में प्राथमिक एवं उच्च प्राथमिक विद्यालयों के संचालन एवं निर्माण के लिए 11 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है जबकि अलाभित समूह एवं दुर्बल वर्ग के बच्चों को स्कूलों में प्रवेश दिलाने के लिए 40 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई है।
संस्कृत शिक्षा के विस्तार पर जोर
सरकार प्रदेश में संस्कृत शिक्षा को अधिक से अधिक बढ़ावा देना चाहती है। इसके लिए संस्कृत विद्यालयों की परिसम्पत्तियों के सृजन के लिए 100 करोड़ रुपये की बजट व्यवस्था की गई है जबकि माध्यमिक विद्यालयों में संस्कृत पढ़ने वाले छात्रों को छात्रवृत्ति देने के लिये 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है
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