पेंशन पर केंद्र को टेंशन, तीन विकल्पों पर विचार: NPS को पुरानी पेंशन से बेहतर बनाने की कोशिश
नई दिल्ली : सरकारी कर्मचारियों में ओल्ड पेंशन स्कीम की बढ़ती डिमांड के मद्देनजर केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। यह चुनावी मुद्दा बन रहा है और कई राज्यों में इस साल विधानसभा चुनाव हैं। इससे पहले सरकार और पेंशन फंड रेग्युलेटरी ऐंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी (PFRDA) के बीच तीन उपायों पर मंथन चल रहा है।
पहला उपाय: ओल्ड पेंशन की तरह लास्ट सैलरी की आधी रकम तक पेंशन तो मिले, लेकिन उसके लिए कर्मचारी से योगदान लिया जाए। इस तरह की स्कीम आंध्र प्रदेश में चलाई जा रही है। सरकार और PFRDA के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हो चुकी है। इसे दिलचस्प तरीका माना जा रहा है, लेकिन योजना को अमल में लाने से पहले कई पेचीदगियों को दूर किया जाना है।
दूसरा उपाय : मौजूदा न्यू पेंशन स्कीम (NPS) में ही न्यूनतम पेंशन 4 से 5 फीसदी तक तय कर दी जाए।
NPS के प्रति शिकायत यह है कि इसमें कर्मचारी का योगदान तय है, लेकिन रिटर्न तय नहीं है। इस पर काम लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन बोर्ड की मंजूरी बाकी है। हालांकि, संकेत मिल रहे हैं कि इसमें न्यूनतम रिटर्न 4 से 5 फीसदी हो सकता है, जिसे बेहद कम समझा जाएगा। गारंटी के कारण लागत बढ़ जाएगी। बाजार ने बेहतर रिटर्न दिया तो न्यूनतम रिटर्न से 2-3 पसेंट ज्यादा तक पेंशन मिल सकती है। NPS में मैच्यॉरिटी की 60% रकम कर्मचारी के हाथ में चली जाती है। अगर यह पैसा भी पेंशन में लग जाए तो पेंशन की रकम बढ़ जाएगी।
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