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बच्चों को बेहतर माहौल देने के लिए खुद के पैसों से बदली सूरत


प्रयागराज । अव्यवस्थाओं के लिए अक्सर में रहने वाले प्राथमिक विद्यालयों की तस्वीर कुछ शिक्षकों ने अपने दृढ़ संकल्प से बदल दी है। जहां पहले बच्चों के बैठने के लिए सीट तक नहीं थी, अब बच्चे प्रोजेक्टर के माध्यम से पढ़ाई कर रह हैं। विद्यालय की सूरत बदलने में अहम योगदान रहा.

प्राथमिक विद्यालय जैतवारडीह में 2010 में सहायक अध्यापिका श्वेता श्रीवास्तव की तैनाती हुई। तैनाती के समय ही श्वेता में मन में स्कूल के शैक्षणिक माहौल में सुधार के साथ ही भौतिक सुविधाओं को भी बढ़ाने का विचार आने लगा। उस समय विद्यालय में दर्ज छात्र संख्या 120 थी, पर उपस्थिति बेहद कम रहती थी। स्कूल में डेस्क, बेंच नहीं थी। बच्चे जमीन पर बैठते थे। ठंड के मौसम में बच्चों को अधिक समस्या होती थी।

श्वेता ने पहले विद्यालय की शैक्षिक गुणवत्ता में सुधार लाने के लिए प्रयास शुरू किए। विभिन्न प्रकार की गतिविधियों की शुरुआत करते हुए शिक्षण में नवाचारों के प्रयोग, अभिभावकों से संपर्क, गांव में नुक्कड़ नाटक, साक्षरता
अभियान के माध्यम से लोगों को बच्चों को स्कूल में रोजाना भेजने के लिए जागरूक किया।


विद्यालय तक बच्चों को लाने और उनकी रुचि बढ़ाने के लिए सांप सीढ़ी के खेल के जरिए शिक्षण कार्य शुरू किया। श्वेता ने इनरव्हील क्लब इलाहाबाद की मदद के साथ अपने वेतन से 2017 में विद्यालय में विद्युतीकरण, डेस्क बेंच प्रोजेक्टर, माइक एम्प्लीफायर, पुस्तकें, स्टेशनरी, दो डस्टबिन, पीटी के लिए यूनिफार्म, स्कूल की कक्षाओं का सौंदर्यीकरण कराया। इन प्रयासों का ही असर है कि वर्तमान में छात्र संख्या 215 तक पहुंच गई है। 2015 में श्री अरविंदो सोसाइटी ने श्वेता के 30 नवाचारों का चयन किया। इसके लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने श्वेता को सम्मानित भी किया था।


विद्यालय के पुराछात्रों को दे रहे हैं प्रशिक्षण प्रयागराज । विद्यालय के साथ ही श्वेता गांव की महिलाओं और

विद्यालय के पुराछात्रों को आत्मनिर्भर बनाने के लिए सिलाई सेंटर का खुलवाया। इसके अलावा मेंहदी व ब्यूटीशियन का निशुल्क प्रशिक्षण आदि की व्यवस्था कराई है।

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