प्राथमिक शिक्षा : शिक्षक प्रोन्नति मामला
उच्च न्यायालय के एक आदेश से चारों तरफ यह खबर उड़ी कि अब जिनकी नियुक्ति 23 अगस्त 2010 के पूर्व हुयी है उन्हें प्रोन्नति के लिए TET नहीं उत्तीर्ण करना होगा। 5 वर्ष के अनुभव के आधार पर उनकी प्रोन्नति हो जायेगी।
यह आदेश माननीय न्यायमूर्ति श्री इरसाद अली जी द्वारा जारी किया गया था। यह आदेश पूर्णयता केस मेरिट पर है।
यह मामला सहायता प्राप्त मिडिल स्कूल से सम्बंधित है। इसके लिए नियमावली 1978 प्रभावी है। नियमावली 1978 में लिखा है कि सहायता प्राप्त मिडिल स्कूल में सहायक अध्यापक पांच वर्ष के अनुभव के आधार पर प्रधानाध्यापक बन सकता है।
NCTE नोटिफिकेशन दिनांक 12 नवम्बर 2014 के सेक्शन 4(B) में लिखा है कि प्रथम संवर्ग (क्लास 1 टू 5) से द्वितीय संवर्ग (क्लास सिक्स टू एट) में जाने के लिए द्वितीय संवर्ग की योग्यता होनी चाहिए।
कोर्ट ने याचिका संख्या सर्विस सिंगल 22454/2018 में इसी की व्याख्या करते हुए कहा कि वह शिक्षक पहले से ही द्वितीय संवर्ग में था और TET 23 अगस्त 2010 से प्रभावी हुआ है शिक्षक वर्ष 2007 में ही नियुक्त हुआ था और नियमावली 1978 में वर्णित प्रधानाध्यापक बनने हेतु योग्यता 5 वर्ष का अनुभव भी रखता है इसलिए इसे TET नहीं देना होगा।
परिषदीय विद्यालय बेसिक शिक्षा नियमावली 1981 से संचालित है, यहाँ प्रोन्नति के लिए पांच वर्ष का अनुभव अनिवार्य है और इसमें नियमावली के संशोधन 20 के पूर्व तीन संवर्ग था।
प्रथम संवर्ग – सहायक अध्यापक प्राथमिक कक्षा एक से पांच।
द्वितीय संवर्ग- प्रधानाध्यापक प्राथमिक कक्षा एक से पांच और सहायक अध्यापक मिडिल कक्षा छः से आठ ।
तृतीय संवर्ग – प्रधानाध्यापक मिडिल कक्षा छह से आठ।
नियमावली के संशोधन 20 में सरकार ने कक्षा एक से पांच तक जूनियर बेसिक (प्रथम संवर्ग) और कक्षा 6 से 8 को सीनियर बेसिक (द्वितीय संवर्ग) का दर्जा दे दिया।
रिट A 11287 ऑफ़ 2018 में मांग हुयी कि NCTE नोटिफिकेशन 12 नवम्बर 2014 के क्लास 4 बी में वर्णित है कि प्रथम से द्वितीय संवर्ग में प्रोन्नति के लिए द्वितीय संवर्ग की योग्यता जरुरी है।
एकल पीठ में न्यायमूर्ति श्री अश्विनी मिश्रा जी ने NCTE का नोटिफिकेशन लागू करने का आदेश कर दिया।
सूबेदार यादव ने एकल पीठ में याचिका की खारिज हुई फिर स्पेशल अपील में जस्टिस श्री सुधीर अग्रवाल से मांग की कि मिडिल का TET उत्तीर्ण प्राथमिक शिक्षक मौजूद नहीं है अतः बगैर TET प्रोन्नति हो। न्यायमूर्ति श्री अग्रवाल ने अपील खारिज कर दी।
मसूद अहमद ने स्पेशल अपील डिफेक्टिव 708 ऑफ़ 2018 दाखिल की और जस्टिस श्री AP शाही को बताया कि बेसिक में तीन संवर्ग हैं। प्राथमिक का प्रधानाध्यापक बनने के लिए TET थोपा जा रहा है जबकि यह NCTE के नियमों के तहत प्रथम संवर्ग ही है।
बहुत से सहायक अध्यापक प्रोन्नति पाकर प्राथमिक का प्रधानाध्यापक और मिडिल का सहायक अध्यापक बने हैं । अब जो प्राथमिक का प्रधानाध्यापक है उसे मिडिल का हेड मास्टर बनने के लिए TET देना होगा और उसी के साथ का जो मिडिल का सहायक अध्यापक है वह बगैर TET के ही मिडिल का हेडमास्टर बन जायेगा।
जस्टिस श्री शाही ने एकलपीठ का आदेश रद्द कर दिया और पुनः सुनवाई का आदेश किया और सभी तरह के प्रभावित पक्ष को IA के जरिये एकल पीठ में अपनी बात रखने का अवसर दिया।
NCTE का नोटिफिकेशन तो रद्द नहीं हुआ है इसलिए वह प्रभावी है मगर कोर्ट को उसके प्रभाव की व्याख्या करनी होगी।
अभी हाल ही में लखनऊ में पीयूष पाण्डेय की याचिका पर न्यायमूर्ति श्री पंकज भाटिया की कोर्ट में बेसिक शिक्षा विभाग ने बताया कि NCTE के सभी नोटिफिकेशन पदोन्नति में लागू किये जायेंगे।
कोर्ट निम्नलिखित तरीके से प्रोन्नति का आदेश कर देगी—
बगैर TET :
प्राथमिक का सहायक अध्यापक बगैर TET प्राथमिक का हेड मास्टर बन जायेगा।
मिडिल का सहायक अध्यापक बगैर TET मिडिल का हेड मास्टर बन जायेगा।
प्राथमिक का सहायक अध्यापक TET उत्तीर्ण करके मिडिल का सहायक अध्यापक बन जायेगा।
प्राथमिक का हेडमास्टर TET उत्तीर्ण करके मिडिल का हेडमास्टर बन जायेगा। दीपक शर्मा केस के निस्तारण के बाद इनको राहत मिल सकती है।
मगर सर्विस सिंगल 22454 ऑफ़ 2018 याचिका ने आदेश किया कि प्राथमिक/मिडिल का जो सहायक अध्यापक 23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त है वही प्राथमिक/मिडिल का हेडमास्टर बगैर TET बन पाएगा।
23 अगस्त 2010 के पूर्व नियुक्त प्राथमिक के सहायक अध्यापक को भी मिडिल का सहायक अध्यापक बनने के लिए TET उत्तीर्ण करना होगा। इलाहाबाद में भी कई याचिकाओं पर सुनवाई चल रही है। दीपक शर्मा केस के निस्तारण से ही यह स्पष्ट होगा कि दिनांक 23.08.2010 के पूर्व नियुक्त शिक्षकों का क्या परिणाम होगा।
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