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एक लाख से अधिक वेतन, पेंशन एक रुपया नहीं


प्रयागराज। समाज कल्याण विभाग से संचालित प्राथमिक स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों का सेवानिवृत्ति के बाद कोई भविष्य नहीं है। भले ही ये स्कूल बेसिक शिक्षा परिषद से मान्यता प्राप्त हैं और पठन-पाठन बेसिक शिक्षा विभाग के कायदे-कानून से होता है। लेकिन बात जब पेंशन देने की आती है तो विभाग यह कहते हुए पल्ला झाड़ लेता है कि पेंशन का कोई प्रावधान नहीं है। इस मुद्दे को लेकर शिक्षकों ने कई बार हाईकोर्ट में भी याचिकाएं कीं, लेकिन अब तक हाथ खाली है। गौरतलब है कि प्रदेश में 489 व प्रयागराज में 28 प्राइमरी स्कूल समाज कल्याण विभाग से संचालित व अनुदानित हैं।


समाज कल्याण विभाग की ओर से संचालित राष्ट्रीय शिशु विद्यालय एवं महिला शिल्प कला प्रशिक्षण केंद्र मम्फोर्डगंज के प्रधानाध्यापक एलके अहेरवार तकरीबन चार दशक की सेवा के बाद 31 मार्च 2023 को सेवानिवृत्त हो गए। फरवरी में उन्हें वेतन के रूप में 1.20 लाख रुपये मिले थे, लेकिन पेंशन के रूप में एक रुपये नहीं मिलेंगे।

● समाज कल्याण के स्कूल से रिटायर शिक्षकों का हाल

● जीपीएफ की होती है कटौती, विभाग नहीं देता पेंशन

समाज कल्याण विभाग की ओर से ही संचालित ऋषिकुल विद्यालय शिवकुटी के इंचार्ज प्रधानाध्यापक अम्बिका शुक्ला और बाल विद्यालय नयापुरा की शिक्षिका बीना सोनी भी 31 मार्च को सेवानिवृत्त हो गईं। दोनों ही शिक्षकों ने तीन दशक से अधिक समय तक सेवा की और उन्हें फरवरी महीने में वेतन के रूप में 1.08-1.08 लाख रुपये मिले थे। इन्हें भी पेंशन के रूप में एक रुपये नहीं मिलेंगे।


तीन-चार दशक तक शिक्षण के बाद सेवानिवृत्ति पर बुढ़ापे का सहारा न होना चिंताजनक है। लंबे समय तक कानूनी लड़ाई लड़ने के बाद भी हमारे हाथ खाली जरूर हैं, लेकिन हम अपना हक लेकर रहेंगे। -सीएल कुशवाहा,

जिलाध्यक्ष उत्तर प्रदेश अशासकीय सहायता प्राप्त विद्यालय शिक्षक एसोसिएशन

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