कोरोना काल की फीस नहीं लौटाई, 20% तक बढ़ा दी: स्कूलों ने कोर्ट व शासन का नहीं माना आदेश
Lucknow : सीबीएसई, सीआईएससीई व यूपी बोर्ड के निजी स्कूलों ने कोरोना कॉल की 15 फीस लौटाने के बजाए 15 से 20 फीसदी बढ़ा दी है। इन स्कूलों ने प्री नर्सरी से लेकर कक्षा 12 की कक्षाओं की फीस में इजाफा किया है। इसके अलावा स्कूलों ने नए बच्चों के दाखिले के नाम पर पांच से 15 हजार रुपये अलग से लिये हैं। नए सत्र में अभिभावकों को हर माह 500 से दो हजार अधिक देने होंगे। कई स्कूलों ने जून तक की फीस जमा करा ली है।
आशियाना निवासी राजेन्द्र सिंह ने बताया कि उनका बेटा कक्षा 10 का छात्र है। एक माह की करीब 8200 रुपये फीस जमा की है। जबकि बीते साल करीब सात हजार फीस थी। गोमतीनगर निवासी अशीष ने बताया यू केजी में बच्चे की फीस 3200 रुपये जमा की है। पिछले साल एल केजी में 2500 रुपये थी। वहीं जूनियर में पांच से छह हजार की जगह 5500 से सात हजार रुपये कर दिये हैं। 10 वीं में सात हजार से बढ़ाकर 8500 व 12 वीं में नौ व 10 हजार से बढ़ाकर 10 व 12 हजार की फीस की है।
स्कूलों ने कोर्ट व शासन का नहीं माना आदेश
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने छह जनवरी को कोरोना काल में स्कूलों द्वारा फीस का 15 फीसदी बच्चों की अगली कक्षा की फीस में समायोजित व स्कूल छोड़ने वाले बच्चों को 15 फीसदी फीस लौटाने के आदेश दिये थे। शासन व डीएम ने स्कूलों को कोर्ट का आदेश मानने का आदेश दिया लेकिन स्कूलों पर असर नहीं हुआ।
नए सत्र में स्कूलों की सहमति से 10 फीसदी फीस बढ़ायी गई है। कोरोना के चलते दो सत्र में फीस नहीं बढ़ायी गई। बल्कि 20 फीसदी तक रियायत दी गई। अभिभावकों को तीन से छह माह का समय भी दिया गया। अनिल अग्रवाल, अध्यक्ष, अनएडेड प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन
शासन ने 2018 में निजी स्कूलों की फीस निर्धारण पर डीएम की अध्यक्षता में समिति का गठन किया था। मनमानी फीस पर समिति को अंकुश लगाना था। पांच साल बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की है। प्रदीप कुमार श्रीवास्तव, अध्यक्ष, अभिभावक कल्याण संघ
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