मीड-डे मील का हाल बेहाल, दाल में पानी है या पानी में दाल, सिलिंडर ढोते हुए बच्चों का एक वीडियो वायरल
यूपी के कानपुर स्थित कन्नौज सिकंदरपुर कस्बे में हाईवे के किनारे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के सामने बने प्राथमिक विद्यालय में भोजन बनाने के लिए सिलिंडर ढोते हुए बच्चों का एक वीडियो वायरल हुआ है। मिड डे मील में भी गुणवत्ताहीन भोजन देने का भी वीडियो सामने आया है। इस प्रकरण को गंभीरता से लेते हुए स्कूल की प्रधानाध्यापिका को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया है। साथ ही भ्रष्टाचार की जांच बीईओ सौरिख को सौंपी गई है।
प्राथमिक विद्यालय में 64 बच्चे पंजीकृत हैं। विद्यालय में व्याप्त भ्रष्टाचार व अव्यवस्थाओं के कई वीडियो वायरल हुए हैं। इन वायरल वीडियो में घुन युक्त खराब गेहूं के आटे का प्रयोग रोटी बनाने में हो रहा है। साथ ही आलू की सब्जी से आलू गायब थे, बच्चों को चावल के साथ पानी से भरी हुई ग्रेवी परोसी जा रही है।
एक अन्य वीडियो में विद्यालय के बच्चे भारी भरकम सिलेंडर को ले जाते हुए दिखाई दे रहे हैं। इन वायरल वीडियो को संज्ञान में लेते हुए बीएसए उपासना रानी वर्मा ने तत्काल प्रभारी से प्रधानाध्यापिका प्रीति सिंह को दोषी मानते हुए निलंबित करते हुए जांच सौरिख बीईओ सर्वेश यादव को सौंपी है।
आपसी सामंजस्य की कमी से खुली भ्रष्टाचार की पोल
प्राथमिक विद्यालय में तैनात शिक्षकों व शिक्षामित्रों के बीच आपसी सामंजस्य की कमी के कारण व्याप्त में हो रहे भ्रष्टाचार की पोल खुली। विभागीय सूत्रों की मानें तो यहां तैनात शिक्षामित्र व प्रधानाध्यापिका के बीच मतभेद हैं। इसी के चलते विद्यालय के ही किसी शिक्षक ने वीडियो बनाकर वायरल कर दिया। इस संबंध में बीईओ डॉ. विमल तिवारी ने बताया कि मिड डे मील की खराब गुणवत्ता को लेकर रसोइया से पूछताछ की जा चुकी है। सब्जी कम पड़ जाने पर उसमें पानी मिलाकर परोसे जाने की पुष्टि हुई है। बीईओ सौरिख पूरे प्रकरण की जांच कर रिपोर्ट बीएसए को सौंपेंगे और भी खामियां मिलने पर प्रधानाध्यापिका के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू की जाएगी।
वायरल वीडियो पुराना होने का दावा
सोशल मीडिया पर विद्यालय में व्याप्त अव्यवस्थाओं का जो वीडियो वायरल हो रहे हैं, उनके काफी पुरानी होने का दावा किया जा रहा है। सर्दी का मौसम होने के बाद भी बच्चे ऊनी कपड़ों की बजाय केवल स्कूली ड्रेस में दिखाई जा रहे हैं। पैरों में जूते और मोजे भी नहीं हैं। बीईओ डॉ. विमल तिवारी ने बताया कि यह वीडियो कितना पुराना है और किसने इसे बनाया, इसकी जानकारी किसी के पास नहीं है। लेकिन वीडियो इसी प्राथमिक विद्यालय का है।
एक बच्चे के भोजन पर खर्च होते हैं 5.45 रुपये
भोजन में बनने वाले भोजन में एक बच्चे के भोजन पर शासन लगभग 5.45 रुपये के हिसाब से खाते में भेजती है। इसमें खाद्य सामग्री के अलावा रसोई गैस आदि का व्यय भी इसी में जोड़ा जाता है। परिषदीय विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों का मानना है कि विद्यालय में बनने वाले बच्चों के सामूहिक भोजन के लिए यह धनराशि पर्याप्त है।
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