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प्रदेश सरकार अब नहीं देगी मदरसा आधुनिकीकरण शिक्षकों को मानदेय


मदरसा आधुनिकीकरण योजना में अब प्रदेश सरकार भी मदरसा शिक्षकों को मानदेय नहीं देगी। मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, गणित, विज्ञान व सामाजिक अध्ययन विषय पढ़ाने के लिए मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत करीब 25 हजार शिक्षक रखे गए थे। केंद्र सरकार ने तो इस योजना को 31 मार्च 2022 को ही बंद कर दिया था, अब प्रदेश सरकार ने भी अपने हिस्से का मानदेय देना बंद कर दिया है।


मदरसा आधुनिकीकरण योजना केंद्र सरकार की है। इसे 1993-94 से संचालित किया जा रहा था। इसमें मदरसों में हिंदी, अंग्रेजी, विज्ञान, गणित व सामाजिक अध्ययन विषय को पढ़ाने के लिए शिक्षक रखे गए थे। वर्ष 2008 से इसे 'स्कीम फार प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजुकेशन इन मदरसा' (एसपीक्यूईएम) के नाम से संचालित किया जाने लगा। इस योजना में तैनात स्नातक पास शिक्षकों को छह हजार व परास्नातक शिक्षकों को 12 हजार रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाता था। वर्ष 2016 में प्रदेश सरकार ने भी इसमें दो हजार व तीन हजार रुपये प्रतिमाह का मानदेय अपनी ओर से देने का निर्णय लिया था। यानी स्नातक शिक्षकों को आठ हजार व परास्नातक शिक्षकों को 15 हजार रुपये इसमें मिलते थे। केंद्र सरकार से इस योजना को वर्ष 2021-22 तक की ही स्वीकृति मिली थी, जबकि प्रदेश में तैनात इन शिक्षकों को केंद्र सरकार से मानदेय और पहले से नहीं मिल रहा था। प्रदेश सरकार केंद्र से स्वीकृति मिलने की उम्मीद में अपने हिस्से का अतिरिक्त मानदेय इस वर्ष अप्रैल तक देती रही। अब प्रदेश सरकार ने भी मानदेय देना बंद कर दिया है। प्रदेश के अल्पसंख्यक कल्याण विभाग ने केंद्र सरकार से लंबित अवशेष धनराशि की मांग कई बार की किंतु अभी तक केंद्रांश के रूप में 100 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि अभी तक नहीं मिली है।


मदरसा आधुनिकीकरण योजना के तहत केंद्र सरकार ने इन्कार कर दिया है। केंद्रांश प्राप्त होने पर ही राज्यांश दिया जा सकता है। केंद्र ने यह भी साफ कर दिया है कि यह योजना 31 मार्च 2022 को बंद कर दी गई है। ऐसे में प्रदेश सरकार भी अपना हिस्सा नहीं दे सकती है। मदरसा अपने संसाधन से ही इन्हें मानदेय दे सकते हैं।
मोनिका एस. गर्ग, अपर मुख्य सचिव, अल्पसंख्यक कल्याण एवं वक्फ विभाग

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