संविदा खत्म करने से पहले कारण बताओ नोटिस जरूरी: इलाहाबाद हाईकोर्ट
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक आदेश में कहा है कि संविदा सेवा में नैसर्गिक न्याय के सिद्धांत को कड़ाई से लागू नहीं किया जाता, लेकिन सेवा समाप्ति के मामले में स्पष्टीकरण का अवसर दिए जाने का अधिकार है। कोर्ट ने कहा कि जब कर्मचारी ने छह-सात साल लगातार संविदा सेवा की हो तो उसे हटाए जाने के कारण जानने का अधिकार है।
इसी के साथ कोर्ट ने बिना कारण बताओ नोटिस दिए डीएम की अध्यक्षता में गठित कमेटी के सेवा समाप्ति प्रस्ताव व सीएमओ वाराणसी द्वारा संविदा नियुक्ति समाप्त करने के आदेशों को रद्द कर दिया है और याची की सेवा बहाल कर दी है।
कोर्ट ने आदेश दिया है कि याची को तीन सप्ताह में कारण बताओ नोटिस दिया जाए। उसके बाद एक सप्ताह में याची जवाब दाखिल करे और फिर कमेटी विचार कर दो सप्ताह में गाइडलाइंस व नीतियों के अनुसार निर्णय ले। हाईकोर्ट ने यह आदेश संगीता की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। अधिवक्ताओं का कहना था कि 21 जुलाई 2022 को याची का पीएचसी काशी विद्यापीठ वाराणसी से हरहुआ स्थानांतरण किया गया। उसे दिसंबर के वेतन का भुगतान भी किया गया। तीन फरवरी 2023 को बीमारी की छुट्टी का पत्र देने केंद्र आई, लेकिन ड्यूटी नहीं की। इलाज कराने का कोई दस्तावेज पेश नहीं किया।
गैरहाजिर रहने पर सीएमओ ने 14 मार्च को याची की सेवा समाप्ति का आदेश जारी किया।
Post a Comment