बिना अनुमोदन कॉलेज में की क्लर्क की नियुक्ति
प्रयागराज। एनपीएस घोटाला, कोरांव के संस्कृत महाविद्यालय में नौ शिक्षकों की फर्जी नियुक्ति के बाद जिला विद्यालय निरीक्षक कार्यालय का एक और कारनामा सामने आया है। इस बार प्रदेश सरकार से सहायता प्राप्त सर्वोदय शिक्षा सदन इंटर कॉलेज भीरपुर करछना में सहायक लिपिक की नियुक्ति कर दी गई। हैरानी की बात है कि लिपिक की नियुक्ति से पहले नियमानुसार माध्यमिक शिक्षा निदेशक से अनुमति भी नहीं ली गई।
गौरतलब है कि शासन ने चार सितंबर 2013 से एडेड कॉलेजों में लिपिकों की सीधी नियुक्ति पर रोक लगा दी थी। पिछले साल नियुक्ति से रोक तो हटी लेकिन उसके लिए कठिन चयन प्रक्रिया और पीईटी सफल अभ्यर्थियों को ही अर्ह किया गया था। आरोप है कि सर्वोदय शिक्षा सदन इंटर कॉलेज भीरपुर करछना में सारे कायदे-कानून दरकिनार करते हुए सहायक लिपिक पद पर अर्पित कुमार सिंह की नियुक्ति 26 फरवरी 2018 को दिखाई गई है और वेतन पांच साल बाद हाल ही में जारी हुआ है। शासनादेश के अनुसार चयन समिति में प्रधानाचार्य का भी शामिल होना अनिवार्य है लेकिन इस मामले में प्रधानाचार्य डॉ. सूर्यकान्त को कोई जानकारी नहीं है। फर्जी नियुक्ति की शिकायत आईजीआरएस पोर्टल के साथ ही महानिदेशक स्कूल शिक्षा विजय किरन आनंद से हुई है।
● सर्वोदय शिक्षा सदन इंटर कॉलेज भीरपुर का मामला●
● 2013 से क्लर्क, चपरासी की नियुक्ति पर है रोक
● मैनेजर-डीआईओएस कार्यालय की मिलीभगत
वर्ष 2010 से 2022 तक विद्यालय में लिपिक की नियुक्ति के संबंध में की गई कोई भी प्रक्रिया मेरे संज्ञान में नहीं है और न ही कोई पत्रावली है। दो परिचारक की नियुक्ति 2013 में हुई लेकिन उसकी पत्रावली भी विद्यालय में नहीं है।
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