स्कूलों में सुरक्षा उपाय नहीं, कोर्ट सख्त
हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए निर्देशों के अनुरूप स्कूलों में सुरक्षा उपाय न करने पर सख्त रुख अपनाया है। न्यायालय ने मुख्य सचिव द्वारा राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण को पिछले छह माह में भेजी गई रिपोर्ट तलब की है।
न्यायालय ने टिप्पणी करते हुए कहा कि शीर्ष अदालत के दिशा निर्देशों को जमीनी स्तर पर न तो लागू किया गया और न ही पांच साल से अधिक समय से बच्चों को स्कूलों में सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने के लिए कोई
कार्रवाई की गई। यह आदेश न्यायमूर्ति आरंतक की रई आरामात बृजभूति सिंह की खंडपीठ ने गोमती रिवर बैंक रेजीडेंट्स की ओर से वर्ष 2020 में दाखिल की गई जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है। याचिका में शहर के आवासीय क्षेत्रों
में चल रहे स्कूलों का मुद्दा खास तौर पर उठाया गया है। याचिका पर पूर्व में हुई सुनवाइयों के दौरान न्यायालय ने पाया कि सुप्रीम कोर्ट ने अविनाश मेहरोत्रा मामले में 14 अगस्त 2017 को बच्चों की सुरक्षा और स्कूलों में सुरक्षित वातावरण उपलब्ध कराने को लेकर कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे। जिसके तहत डीआईओएस को नोडल अधिकारी नियुक्त करने की बात कही
गई थी व उसके कार्यों की निगरानी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन करने को कहा था। प्रमुख जिलाधिकारी को बनाया था। दोनों के कार्यों की निगरानी की जिम्मेदारी मुख्य सचिव को सौंपी थी।
कोर्ट ने असंतुष्टि जताई
सुप्रीम कोर्ट के उक्त दिशा निर्देश के क्रम में राज्य सरकार की ओर से विभिन्न विभागों के बीच हुए पत्राचार की जानकारी न्यायालय को दी गई। इस पर कोर्ट ने असंतुष्टि जाहिर करते हुए, उपरोक्त टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा कि शीर्ष अदालत के आदेश के अनुपालन में मुख्य सचिव को तिमाही रिपोर्ट भी राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन को भेजनी थी, उम्मीद करते हैं कि रिपोर्ट भेजी गई होगी।
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