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पहले ही कदम पर लड़खड़ाया जिले के अंदर समायोजन, समायोजन से पहले हाईकोर्ट पहुंच गए शिक्षक


परिषदीय स्कूलों में कार्यरत शिक्षकों के जिले के अंदर समायोजन की कवायद पहले कदम पर ही लड़खड़ा गई है। बेसिक शिक्षा परिषद के सचिव सुरेन्द्र कुमार तिवारी की ओर से 28 जून को जारी आदेश के अनुसार जिले में अधिक अध्यापक संख्या वाले विद्यालयों और अध्यापक की आवश्यकता वाले स्कूल का चिह्नह्माकन दो जुलाई तक होना था। उसके बाद पांच जुलाई तक अधिक अध्यापक


संख्या वाले चिह्नित विद्यालयों में मानक से अधिक शिक्षक एवं शिक्षिका को जिले में सेवा अवधि के आधार पर क्रमानुसार (कनिष्ठ) चिह्नित करने के साथ विद्यालयों में अध्यापक की आवश्यकता की गणना करते हुए सूची जारी करनी थी।

19 जुलाई तक होना है स्थानान्तरण एवं समायोजन

05 जुलाई तक जारी होनी थी इन स्कूलों की लिस्ट

इस गणना पर शिक्षक-शिक्षिका से आपत्ति लेते हुए बेसिक शिक्षा अधिकारी को समिति के माध्यम से दस जुलाई तक उसका निस्तारण कराना था। 11 जुलाई से सरप्लस शिक्षकों से समायोजन के लिए 25 स्कूलों का विकल्प लेना था। समायोजन की पूरी प्रक्रिया 19 जुलाई तक पूरी होनी थी। लेकिन प्रयागराज समेत अधिकांश जिलों में न तो सरप्लस शिक्षक चिह्नित किए गए और न ही आपत्ति का

निस्तारण हो सका है। इस ढिलाई के कारण 2017 से समायोजन का इंतजार कर रहे शिक्षक एक बार फिर निराश हैं।


समायोजन से पहले हाईकोर्ट पहुंच गए शिक्षक

एक तरफ समायोजन की कार्यवाही शुरू नहीं हो सकी है तो वहीं दूसरी ओर एक शिक्षिका ने इसके खिलाफ हाईकोर्ट में याचिका दायर कर दी है। कानूनी विवाद के कारण ही 2017 से समायोजन नहीं हो सका है। दरअसल, शहर के आसपास और सड़क पर स्थित स्कूलों में तैनात शिक्षक दूसरे स्कूलों में जाना नहीं चाहते। इसीलिए हर बार र कोई न कोई कमी निकालकर याचिका कर देते हैं और पूरी प्रक्रिया ठप हो जाती है।


मानक के अनुसार सरप्लस शिक्षकों को चिह्नित किया जा रहा है। उसके बाद उच्च अधिकारियों के निर्देश पर आगे की कार्यवाही की जाएगी। - प्रवीण कुमार तिवारी, बेसिक शिक्षा अधिकारी

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