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दिव्यांग कर्मचारी को सामान्य तबादले से छूट मिले : हाईकोर्ट


नई दिल्ली। हाईकोर्ट ने कहा कि दिव्यांग कर्मचारियों को तब तक स्थानांतरित नहीं किया जा सकता, जब तक कि कोई प्रशासनिक तात्कालिकता न हो। ऐसी तात्कालिकता साबित करने का भार नियोक्ता पर होता है।

कोर्ट ने कहा कि दिव्यांग कर्मचारी से संबंधित स्थानांतरण आदेश में कई कारकों पर विचार किया जाना चाहिए। इन कारकों में सबसे पहले आदेश गैर-भेदभावपूर्ण होना चाहिए, संबंधित कर्मचारी को सामान्य रूप से रोटेशनल स्थानांतरण से छूट दी जानी चाहिए। हालांकि, स्थानांतरण आदेश नियोक्ता के अनन्य निर्णय होते हैं, लेकिन यदि वे दुर्भावनापूर्ण इरादे से किए गए हों या किसी वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन करते हों तो न्यायालय ऐसे निर्णयों में हस्तक्षेप कर सकता है। पीठ ने एकल न्यायाधीश के निर्णय को बरकरार रखते हुए कहा, नियोक्ता को यह



सुनिश्चित करना चाहिए कि दिव्यांग व्यक्ति को ऐसे स्थान पर नियुक्त किया जाए जहां आवश्यक चिकित्सा व अवसंरचनात्मक सुविधाएं आसानी से उपलब्ध हों। पीठ ने अपीलकर्ता कंपनी को प्रतिवादी-कर्मचारी को 25,000 रुपये की लागत का भुगतान करने का आदेश दिया है।



यह है मामला : प्रतिवादी-कर्मचारी 72 प्रतिशत चलने-फिरने में अक्षमता वाला एक अस्थि दिव्यांग है। वह मस्तिष्क पक्षाघात से भी दिल्ली एच चक्कर ELHI HIGH COURT पीड़ित है। वह अपीलकर्ता कंपनी (इरकॉन) में सहायक प्रबंधक के रूप में काम करता है। इरकॉन ने कर्मचारी को दिल्ली कार्यालय से छत्तीसगढ़ के बिलासपुर कार्यालय में स्थानांतरित कर दिया।

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