डिजिटल हाजिरी के खिलाफ आंदोलन हुआ और तेज, कई जिलों के शिक्षक संकुलों ने दिया इस्तीफा, विभागीय व्हाट्सएप समूहों को छोड़ने का चल रहा स्वस्फूर्त अभियान
प्राइमरी शिक्षकों की ओर से ऑनलाइन हाजिरी का विरोध दिन-प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है। प्रदेश भर में शिक्षकों की ओर से संकुल प्रभारी, बूथ लेबल अधिकारी, एबीआरसी, जिला समन्यवयक, बाढ़ आदि कार्यों लगाए गए पदों से त्याग पत्र देना शुरू कर दिया है।
शनिवार को बरेली, आगरा, अलीगढ़, अमेठी, कुशीनगर, मऊ तथा शामली में 150 से अधिक शिक्षकों ने अतिरिक्त प्रभार के रूप में प्राप्त संकुल प्रभारी के पद से इस्तीफा दे दिया। शुक्रवार को भी: आगरा, एटा, मैनपुर, इटावा समेत अनेक जिलों के पांच दर्जन से अधिक शिक्षकों ने अतिरिक्त कार्यभार से इस्तीफा भेज दिया था। शिक्षक नेताओं का दावा है कि सोमवार को जब स्कूल खुलेंगे तो बाकि बचे जिलों में भी शिक्षक अपने अतिरिक्त प्रभार से इस्तीफा देंगे।
डिजिटल अटेंडेंस को लेकर अधिकारी शिक्षकों पर बना रहे अनुचित दबाव
यूटा के प्रदेश अध्यक्ष बोले, शिक्षकों की समस्याओं का भी समाधान खोजें
यूनाइटेड टीचर्स एसोसिएशन (यूटा) के प्रदेश अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह राठौर ने बताया कि शिक्षाधिकारी शिक्षकों पर डिजिटल अटेंडेंस देने का दबाव बना रहे हैं जो अनुचित है। विभाग शिक्षकों की व्यवहारिक समस्याओं का समाधान खोजे, उनकी मांगे माने जाने से पहले डिजिटल अटेंडेंस नहीं दर्ज कराई जाएगी। वहीं उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. दिनेश सिंह शर्मा ने सभी शिक्षकों से विभाग के सभी ग्रुप छोड़ने की अपील की है।
सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर डॉ. शर्मा ने लिखा कि टैबलेट लॉगिन के लिए ओटीपी शिक्षक के पर्सनल नंबर पर आ रही है। दूसरी तरफ विद्यालय में फोन प्रयोग करने पर शिक्षक को निलंबित किया जा रहा है। इसलिए आप केवल शिक्ष्ज्ञण करें, मांगे माने जाने तक अपने व्यक्तिगत नंबर से कोई विभागीय सूचना दें, सभी विभागीय ग्रुप से लेफ्ट कर जाएं। इसके बाद काफी शिक्षकों ने सरकारी ग्रुप से व्यक्तिगत मोबाइल नंबर से लेफ्ट भी किया है।
क्या होते हैं शिक्षक संकुल?
न्याय पंचायत स्तर पर पांच-छह शिक्षकों को शिक्षक संकुल के रूप में तैनात किया जाता है। विद्यालय अवधि के बाद विद्यालयों को निपुण बनाने के लिए काम करते हैं। ब्लॉक संसाधन केंद्र और शिक्षकों के बीच सेतु का काम करते हैं। विभागीय योजनाएं को शिक्षक पहुंचाने का काम करते हैं। डिजिटल अटेंडेंस लगवाने की भी जिम्मेदारी है।
डिजिटल हाजिरी के खिलाफ आंदोलन हुआ और तेज, कई जिलों के शिक्षक संकुलों ने दिया इस्तीफा, विभागीय व्हाट्सएप समूहों को छोड़ने का चल रहा स्वस्फूर्त अभियान
लखनऊ। परिषदीय विद्यालयों में डिजिटल अटेंडेंस पर सख्ती किए जाने और शिक्षकों से इसे लगवाने के विभागीय दवाव के बाद कई जिलों में शिक्षक संकुल ने इस काम से सामूहिक त्यागपत्र दे दिया। साथ ही अपने व्यक्तिगत मोबाइल नंबर का सरकारी काम में प्रयोग न करने का एलान करते हुए शिक्षकों का शनिवार को भी विरोध जारी रहा।
दरअसल पांच-छह शिक्षकों को शिक्षक संकुल के रूप में तैनात किया जाता है। ये विद्यालयों को निपुण बनाने के लिए काम करते हैं। अब शिक्षा अधिकारी शिक्षक संकुलों पर शिक्षकों की डिजिटल अटेंडेंस लगवाने का दबाव बना रहे हैं। इसके विरोध में अमेठी, बरेली, आगरा, अलीगढ़, मैनपुरी आदि जिलों के शिक्षक संकुल ने त्यागपत्र दे दिया। उन्होंने संकुल कार्य में रुचि न होने को इसका कारण बताया है।
शिक्षक नेताओं के अनुसार कई जगह पर खंड शिक्षा अधिकारी स्कूलों में जाकर डिजिटल उपस्थिति के लिए शिक्षकों को डरा- धमका रहे हैं तो कहीं वेतन रोकने की भी धमकी दे रहे हैं। अधिकारी शिक्षकों से कह रहे हैं कि यदि आप अपनी उपस्थिति नहीं देना चाहते हैं तो बच्चों की डिजिटल उपस्थिति दें।
माध्यमिक शिक्षक संघों ने भी किया समर्थन : बेसिक शिक्षकों के समर्थन में शनिवार को माध्यमिक शिक्षक संघ भी उतरा। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (चंदेल गुट) ने प्रदेश अध्यक्ष चेत नारायण सिंह ने कहा कि सभी प्रांतीय, मंडल व जिला पदाधिकारी अपनी टीम के साथ आंदोलनरत परिषदीय शिक्षकों के संघर्ष में शामिल होकर आंदोलन को सफल बनाएं। वहीं उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ (शर्मा गुट) के प्रदेश अध्यक्ष सुरेश कुमार त्रिपाठी ने कहा कि वह इस मनमाने आदेश के खिलाफ हर कदम में बेसिक शिक्षकों के साथ हैं।
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