वर्तमान सरकार का दावा: सरकारी नौकरियों में ओबीसी को मिला सबसे ज्यादा लाभ, शिक्षक भर्ती में 31000 युवाओं का हुआ चयन
योगी सरकार में होने वाली भर्तियों में ओबीसी युवाओं के साथ भेदभाव को लेकर जारी राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप के इतर आंकड़े कुछ और ही बयां कर रहे हैं। शासन के अनुसार, 2017 से अब तक प्रदेश में हुई भर्तियों में न केवल आरक्षण प्रावधानों का पालन हुआ, बल्कि कई में तो सामान्य वर्ग से ज्यादा चयन ओबीसी अभ्यर्थियों का ही हुआ है।
परिषदीय विद्यालयों में हुई 69000 शिक्षक भर्ती प्रकिया में अन्य पिछड़ा वर्ग के 18000 से अधिक पदों पर भर्ती होनी थी। इसके सापेक्ष अन्य पिछड़ा वर्ग के 31000 से अधिक अभ्यर्थियों का चयन हुआ। इसमें 18,598 ओबीसी कोटे में तथा 12,630 ओबीसी अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में चयनित हुए। ऐसा ही अनुसूचित जाति संवर्ग में भी हुआ है। शिक्षक भर्ती में अनुसूचित जाति के लिए 14000 से अधिक पद आरक्षित थे। इन सभी पदों पर तो एससी वर्ग के युवाओं का चयन हुआ ही, नियमों के अनुरूप मेरिट के आधार पर 1600 से अधिक अनुसूचित जाति के अभ्यर्थी अनारक्षित श्रेणी में भी चयनित हुए।
वहीं बचे 1100 से अधिक अनुसूचित जनजाति के खाली पदों को भी अनुसूचित जाति के अभ्यर्थियों द्वारा ही भरा गया। इस तरह अनुसूचित जाति संवर्ग के कुल 17000 से अधिक अभ्यर्थियों का चयन परिषदीय विद्यालयों में शिक्षक पद पर हुआ। संबंधित चयन परीक्षा में अनारक्षित श्रेणी के 34000 से अधिक पदों में 20,301 सामान्य श्रेणी, 12,630 अन्य पिछड़ा वर्ग, 1,637 अनुसूचित जाति, 21 अनुसूचित जनजाति के अभ्यर्थियों का चयन हुआ।
यूपीपीएससी में सबसे ज्यादा सफलता ओबीसी को
विधानमंडल के मानसून सत्र में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भर्तियों में आरक्षण प्रावधानों का विधिवत पालन होने की बात सदन में रखी थी। उन्होंने लोक सेवा आयोग की भर्ती परीक्षा के आंकड़े प्रस्तुत किए और सपा शासनकाल और मौजूदा समय में ओबीसी छात्रों को मिली सफलता के अंतर को समझाया था। उन्होंने कहा था कि सपा खुद को पीडीए के हितों की संरक्षक भले ही बताती हो, लेकिन रिकॉर्ड बताते हैं कि 2012 से 2017 के बीच सपा शासनकाल में लोकसेवा आयोग के माध्यम से विभिन्न पदों पर कुल 26,394 युवाओं का चयन हुआ था। अंतिम रूप से चयनित इन अभ्यर्थियों में ओबीसी वर्ग की कुल हिस्सेदारी मात्र 26.38 फीसदी रही, जबकि एससी संवर्ग के युवाओं को 21.34 फीसदी सीटें मिली थीं। वहीं उनकी सरकार में 2017 से अब तक लोक सेवा आयोग के माध्यम से कुल 46,675 भर्तियां हुई हैं, जिसमें 38.41 फीसदी अकेले ओबीसी संवर्ग के युवाओं का चयन हुआ है। वहीं 3.74 प्रतिशत सीटें ईडब्ल्यूएस वर्ग के युवाओं को मिलीं। अनारक्षित पदों पर सामान्य श्रेणी के 36.76 फीसदी युवाओं को सफलता मिली।
आउटसोर्सिंग भर्तियों में आरक्षण नहीं, फिर भी ओबीसी युवाओं की हिस्सेदारी
सूचना विभाग में 676 में से 512 आरक्षित वर्ग के आउटसोर्सिंग के कर्मचारी हैं। इसमें से 340 सिर्फ ओबीसी वर्ग के हैं। यह संख्या 75 फीसदी के आसपास है। यह हाल तब है जबकि अभी आउटसोर्सिंग भर्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान लागू नहीं है। आउटसोर्सिंग कार्मिकों की नियुक्ति शासन स्तर पर नहीं बल्कि विभाग स्तर पर उसके द्वारा अधिकृत आउटसोर्सिंग एजेंसी करती है।
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