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परिषदीय स्कूलों में सीटीटीवी लगवाने का मामला गर्माया, प्राथमिक शिक्षक संघ ने बताया था महिला शिक्षकों की निजता का हनन


सहारनपुरः परिषदीय स्कूलों के कक्षों और परिसरों में कैमरे लगवाने का मामला गरमा गया है। कई स्कूलों में ग्राम प्रधानों द्वारा हठधर्मिता दिखाते हुए बिना विभागीय अनुमति और प्रधानाध्यापकों की सहमति के कैमरे लगवाए गए हैं। प्राथमिक शिक्षक संघ ने बीएसए से इसे महिला शिक्षकों की निजता का हनन बताते हुए कड़ी आपत्ति दर्ज कराई थी। इसके बाद बीएसए ने जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र भेजकर कार्यवाही का अनुरोध किया है।


बेसिक शिक्षा परिषद के प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट स्कूलों में कैमरे लगंवाने से नया विवाद खड़ा हो रहा है। हालांकि अभी ऐसे स्कूलों की संख्या कम है, जिनमें कैमरे लगे है। जिन स्कलों में कैमरे लगे हैं, वहां
के प्रधानाध्यापकों ने उत्तर प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ से इसकी शिकायत की थी। प्रधानाध्यापकों का कहना था कि बिना विभागीय अनुमति और उनकी सहमति के बिना कक्षा कक्षों और स्कूल परिसर में ग्राम प्रधानों द्वारा हठधर्मिता दिखाते हुए

कैमरे लगवाए गए हैं। इनकी डीवीआर प्रधानों ने पंचायत भवन में लगवाई और कैमरे अपने मोवाइल फोन से अटैच कर रखे है। इससे महिला अध्यापिकाओं को निजता का हनन हो रहा है। शिक्षकों द्वारा डीवीआर प्रधानाध्यापक कक्ष में लगवाने के तर्क को प्रधानों ने खारिज कर दिया था।

शिक्षक संघ के जिलाध्यक्ष संदीप सिंह पंवार बताते हैं कि प्रधानाध्यापकों के अनुसार, ग्राम प्रधानों द्वारा कायाकल्प के 19 पैरामीटर भी पूरे नही कराए गए हैं। कैमरे लगे होने से महिला शिक्षक खुद को असहज महसूस कर रही हैं।

शिक्षण कार्य पर भी इसका प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। उन्होंने बीएसए से मांग की थी कि बिना विभागीय अनुमति के स्कूलों में कैमरे लगवाने पर रोक लगवाई जाए।



प्राथमिक शिक्षक संघ की आपत्ति पर जिला पंचायत राज अधिकारी को पत्र भेजा गया है। इसमें अनुरोध किया है कि वे शिक्षकों की निजता को ध्यान में रखते हुए ग्राम प्रधानों द्वारा बिना विभागीय अनुमति के स्कूलों में लगाए जा रहे कैमरों के बारे में नियमानुसार कार्यवाही करें। कोमल, बीएसए

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