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दलों की मांग के बाद भी जातीय जनगणना पर फिलहाल फैसला नहीं


जनगणना जल्द ही कराई जाएगी। लेकिन दशकीय जनगणना में जाति संबंधी कालम शामिल करने के बारे में पूछे जाने पर सूत्र ने कहा, ‘इस पर निर्णय होना अभी बाकी है।’ राजनीतिक दल जाति जनगणना कराने की पुरजोर तरीके से मांग कर रहे हैं। नए आंकड़े नहीं होने के कारण सरकारी एजेंसियां अब भी 2011 की जनगणना के आंकड़ों के आधार पर नीतियां बना रही हैं और सब्सिडी आवंटित कर रही हैं। भारत में 1881 से हर 10 वर्ष में जनगणना की जाती है। इस दशक की जनगणना का पहला चरण एक अप्रैल, 2020 को शुरू होने की उम्मीद थी, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण इसे स्थगित करना पड़ा। महिला आरक्षण भी जनगणनापर निर्भरः पिछले वर्ष संसद द्वारा पारित महिला आरक्षण अधिनियम का कार्यान्वयन भी इसी दशकीय जनगणना से जुड़ा हुआ है। लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं के लिए एक-तिहाई सीटें आरक्षित करने संबंधी कानून इस अधिनियम के लागू होने के बाद होने वाली पहली जनगणना के प्रासंगिक आंकड़ों के आधार पर परिसीमन की प्रक्रिया शुरू होने के बाद लागू होगा।



जनगणना के जनगणना के लिए 31 सवाल

भारत के महापंजीयक और जनगणना आयुक्त ने जनगणना के दौरान पूछने के लिए 31 सवाल तैयार किए हैं। इसमें पूछा जाएगा कि एक परिवार में कितने लोग रहते हैं और परिवार का मुखिया महिला है क्या। परिवार के मुखिया अगर एससी/एसटी हैं तो यह जानकारी भी मांगी जाएगी। पूछेंगे कि एक परिवार के पास एक टेलीफोन, इंटरनेट कनेक्शन, मोबाइल या स्मार्टफोन है या नहीं। उनके पास वाहनों में साइकिल, स्कूटर, बाइक या फिर कार, जीप या वैन है या नहीं। पूछेंगे आप कौन सा अनाज अधिक खाते हैं। पेयजल, बिजली, शौचालय, गंदे पानी की निकासी, रसोई व रसोई में एलपीजी / पीएनजी की उपलब्धता की भी जानकारी ली जाएगी।

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