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हाईकोर्ट ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ जज की याचिका खारिज की


हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने अनिवार्य सेवानिवृत्ति के खिलाफ दाखिल एक अपर सत्र न्यायाधीश की याचिका को खारिज कर दिया है। न्यायालय ने कहा कि न्यायिक अधिकारी के अनिवार्य सेवानिवृत्ति के लिए एक भी प्रतिकूल टिप्पणी पर्याप्त है, वर्तमान मामले में यह नहीं कहा जा सकता कि याची के खिलाफ कोई भी सामग्री रिकॉर्ड पर नहीं थी।

यह आदेश न्यायमूर्ति राजन रॉय व न्यायमूर्ति ओम प्रकाश शुक्ला की खंडपीठ ने अनिवार्य तौर पर सेवानिवृत्ति किए गए तत्कालीन अपर सत्र न्यायाधीश अनिल कुमार की सेवा संबंधी याचिका पर पारित किया। याची 22 मार्च 1996 को सिविल जज, जूनियर डिवीजन के तौर पर नियुक्त हुआ था। 15 दिसंबर 2003 को वह सिविल जज, सीनियर डिवीजन के तौर पर प्रोन्नत हुआ। 16 अगस्त 2013 को उसे उच्चतर न्यायिक सेवा में प्रोन्नति दी गई और वह अपर सत्र न्यायाधीश के तौर पर नियुक्त किया गया। इस दौरान जनपद न्यायाधीश, बदायूं ने याची के खिलाफ एक गोपनीय रिपोर्ट तैयार की।

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